काश
काश बोल दिया होता
तो यूँ तन्हा न होता
उसको याद न करता
न ख्वाबो मे यूँ खोता
न दिन रात तड़फ़ता
न उसकी बात मैं करता
न साथ-किसी के दर्शन करता
ना ही उसे मै, बेवफ़ा कहता
ना ही मै यूँ काश-काश रटता
काश बोल दिया होता
तो यूँ तन्हा न होता
उसको याद न करता
न ख्वाबो मे यूँ खोता
न दिन रात तड़फ़ता
न उसकी बात मैं करता
न साथ-किसी के दर्शन करता
ना ही उसे मै, बेवफ़ा कहता
ना ही मै यूँ काश-काश रटता
काश बोल दिया होता
राजू कुमार "मस्ताना'
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