कलम लाइव पत्रिका

ईमेल:- kalamlivepatrika@gmail.com

Sponsor

बहुत दिनों के बाद कविता ...नागार्जुन bahut dino ke baad


बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी – भर देखी
पकी – सुनहली फसलों की मुस्कान
बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद
अब की मैं जी – भर सुन पाया
धान कूटती किशोरियों की कोकिल कंठी तान
बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी – भर सूँघे
मौलसिरी के ढे र- ढेर से ताजे – टटके फूल
बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद
अब की मैं जी – भर छू पाया
अपनी गंवई पगडंडी की चंदनवर्णी धूल
बहुत दिनों के बाद
बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी – भर तालमखाना खाया
गन्ने चूसे जी – भर
बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी – भर भोगे
गंध – रूप – रस – शब्द – स्पर्श
सब साथ साथ इस भू पर
बहुत दिनों के बाद !

बाबा नागार्जुन

1 comment: