कलम लाइव पत्रिका

ईमेल:- kalamlivepatrika@gmail.com

Sponsor

दिल पर मेरा बस नही


*दिल पर मेरा बस नही*

क्या करे इस दिल का अब में।
जो कही भी अब लगता नही।
सोचता हूँ कुछ और,
कुछ और हो जाता है।
क्योंकि अब दिल पर बस चलता नही।।

दिल का हाल अब कैसे जाने हम।
दिल की धडकनों को कैसे  पहचाने हम।
कौनसा रोग लग गया है हमें।
अब किससे इसका इलाज कराए हम।।

दूर होकर भी बहुत पास हो तुम।
दिल की धड़कनों का एक राज हो तुम।
कैसे कह दूं किसीको भी अब मैं।
क्योकि मेरे जीने की आस हो तुम।।

संजय जैन (मुम्बई)
10/06/2019

No comments:

Post a Comment