(0) सुर्य देवता (0)
विश्व पटल का है स्वामी जो काम अपना कर जातारविवार में पहले आकर नाम अपना कर जाता
तीखे तीखे तेवर उसके धीमी धीमी चाल
उदय होता वह तरोताजा अस्त होने पर लाल
अस्त उदय मैं आता उसका पूरा पूरा नाम
कभी ना करता वह अपना आधा अधूरा काम
सर्दियों में लगे सुहाना गर्मियों में काल लगे
उसकी छाया जिस पर जाये पीला रंग भी लाल लगे
कवि जय पटेल "दीवाना"
मुंगाणा बाँसवाड़ा
Nice bhai pr pehle wali is se bi achchi thi
ReplyDeleteSuperb Bhai
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