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किसे हम ढूंढ रहें हैं

किसे हम ढूंढ रहें हैं

कल से कल तक मैं
आज को ढूंढ रहा हूँ।
जीवन के बीते पलो को,
आज में खोज रहा हूँ।
शायद मुझे वो पल
आज में मिल जाये ।।

कहते है कि बीत हुआ समय,
कभी वापिस नही आता।
मुंह से बोले शब्द कभी,
दोबारा वापिस नही आते।
इसलिए बहुत तोल मोल कर,
शब्दो को सदा बोलना चाहिए।
जिससे सुनने वाला आपकी,
वाणी से आपका हो जाये।।

दिल और मन बहुत छोटे होते हैं।
दोनों पर वाणी का बहुत, जल्दी असर जो होता हैं।
जिससे कभी कभी बड़ी, दुश्मनी भी दोस्ती में बदल जाती हैं।
और कभी कभी बने, बनाये रिश्त भी बिगड़ जाते हैं।।

वैसे तो इस युग मे कोई, किसी का नही होता हैं।
पर भी कुछ तो झूठे,
और मायाचारी रिश्ते होते हैं।
जो भी दिल दिमाग और मन से सोचता हैं।
इस कलयुग में भी जीवन,
हंसते खिलखिलाते जीत हैं।।

संजय जैन (मुम्बई)
01/06/2019

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