माधवी का दाखिला
माधवी निर्निमेष दृष्टि से बच्चों की रैली के तरफ देख रही थी तथा मन मे विचार कर रही थी कि मै भी यदि बेटा होती तो आज आदित्य फुच्चे के साथ पढ़ने पाठशाला मे जाती। मेरे पढ़ने के नाम पर पता नहीं क्यों मम्मी पापा बहुत नाराज हो जाते हैं। क्या मेरा जन्म चौका बर्तन साफ करने के लिए हुआ है। बच्चे अपने हाथों में तिरंगा झंडा लेकर "" भारत माता की जय "" महात्मा गांधी अमर रहे हैं "के नारे जोर - जोर से लगाते हुए जा रहे थे। माधवी भी" "भारत माता की जय" "अपने दरवाजे पर खड़ी बोल रही थी। तभी विजय लक्ष्मी ने माधवी - माधवी कहकर जोर से पुकारा पर माधवी कहां सुनती वह तो बच्चों के आवाज मे अपनी आवाज बुलंद कर रही थी।
विजय लक्ष्मी - ऐ भारत मां की बच्ची सुबह से दरवाजे पर खड़ी है आज पन्द्रह अगस्त है फुच्चे आदित्य को तैयार तेरे बाप करेंगे इतना कहकर दो चाटें गाल पर जड़ दी माधवी तिलमिला उठी तथा उसका बाल पकड़कर घसीटते हुए आंगन में पटक दिया।
माधवी - मत मारो मां मै कभी नहीं पढ़ने वाले बच्चों के तरफ देखूंगी।
विजय लक्ष्मी - इतना पढ़ने का शौक था तो भगवान बेटा बनाये होते। देख नहीं रही है दुनिया जल रही है कौन गांव में बेटी को पढ़ने के लिए पाठशाला भेज रहा है फुसफुसाते भीतर गयी।
माधवी - फुच्चे तथा आदित्य को नये-नये कपड़े पहनाकर हाथ मे तिरंगा झंडा पकड़ा कर रवाना किया। माधवी का फ्राक खरीदे तीन वर्ष हो गये थे जो जगह-जगह से फट भी गये थे वह उसी को देखकर और सुबक रही थी शायद मै पढ़ती तो आज मै भी नये कपड़े पहनकर हाथ मे झंडा लेकर कहती - भारत माता की जय।
विजय लक्ष्मी - पागल हो गयी है अकेले में भारत मां की जय बोल रही है चल बर्तन साफ कर ले और खाना खा ले। माधवी मार के डर से सहमी हुई बर्तन साफ करके भोजन करने बैठ गयी परंतु उसके मुख से अनायास ही "" भारत माता की जय "" शब्द निकल जाता था।
इधर तरुण माधवी का चचेरा भाई है जो रांची झारखंड मे सिविल इंजीनियर है वह पांच वर्ष पर घर आया है तथा उसने विजय लक्ष्मी से पूछा कि माधवी का दाखिला करवायीं तो मां ने कहा बेटा माधवी लड़की है उसे कहाँ पढ़ाना है।
तरुण-अरे मां आज बेटी-बेटा में कोई फर्क नहीं है बेटियाँ वायुयान उड़ा रहीं हैं कल्पना चावला अन्नू जार्ज का नाम नहीं सुना है माधवी को जल्दी तैयार करो मै उसके लिए तीन सेट कपड़े लाये हैं। मां कर भी क्या सकती इंजीनियर साहब का आदेश जो था और माधवी मन ही मन बड़ा ही खुश थी भगवान भाई किसीको दे तो मेरे भैय्या जैसा। तरुण पाठशाला मे पहुंचकर प्रधानाचार्य श्री रमेश जी को नमस्कार किया तथा पूंछा- अभी नामांकन हो सकता है -
रमेश जी-बाबू अब तो वर्ष भर नामांकन होता है उन्होंने माधवी का नामांकन कर निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें बैग जूता मोजा टाई बेल्ट वही देकर पहनवा दिया। आज तो माधवी वो माधवी नहीं दूसरी हो गयी थी तथा दौड़ कर अपने भाई को गले से लगा कर बोली " भारत माता की जय"।
स्वलिखित ।। कविरंग ।।
पर्रोई - सिद्धार्थ नगर( उ0प्र0)
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