गोरिया
गोरिया पतरकी रहिया अगोरे।
गिन - गिन बितेला समवा औ भोरे।।
जबसे कमाये गइला पिया कलकतवां
हिया मोरा खुरके जइसे पीपर कै पतवा
बढ़ल बाय दुखवा तूं समझेला थोरे ।।गोरिया - - - -
आइल त्योहार प्यारा रक्षाबंधनवां
गुड़िया मचवलिन घरवां मे ठनगनवां
सुबहियें से रोवत बाटिन बहुतै जोरे-जोरे।। गोरिया - - -
फुच्चे रिषियाई गइलैं झंडा वनके चाही
मधुवा के नरखा नाहीं सचिनवां के स्याही
केहू नाहीं आगे - पीछे सईंयां जी मोरे।। गोरिया - - -
।। कविरंग ।।
पर्रोई - सिद्धार्थ नगर( उ0प्र0)
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