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मिलकर बिछड़ना

*मिलकर बिछड़ना*

ब्याह हुआ हैं अभी हाल में,
और हुआ हैं प्रीत मिलन।
प्यारी प्यारी उनकी बातें,
कैसे भूल जाएं हम।
जिन पर हम फिदा हुए,
और दिया अपना तन मन।
मानो जैसे मिली है जन्नत, 
मुझको उनसे अभी अभी।।

दिल दिमाग पर वो छाये हैं,
जैसे मानो परछाई मेरी।
कैसे जाऊं छोड़कर  उनको,
जो हैं आत्मा मेरी।
पर करे क्या अब हम,
आ गया जो सावन ।
छोड़ पिया को जाना पड़ेगा,
माँ बाप के आंगन।।

जिनके लाड़ प्यार में,
पल कर में बड़ी हुई।
उनसे भी प्यारे हमें,
अब प्रीतम लगते हैं।
छोड़कर जाने का उनको,
बिल्कुल भी अब मन नहीं।
रीति रिवाज की खातिर मुझको,
जाना पड़ेगा छोड़कर उनको।।

दिन रात सताएगी यादें
 उनकी।
तो यादों में ही खो जाऊंगी।
बिन उनके क्या मैं,
अब वहां रह पाऊंगी।
कुछ भी करके मैं उन्हें ,
अपने पास बुल बाऊँगी।
और दिल को दिल से मिलाऊंगी।।

जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
28/07/2019

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