घोड़ाखाल (नैनीताल )
भुवन बिष्ट , रानीखेत (अल्मोड़ा)
देवभूमि में जहां हर पग पग पर होता है आस्था का अटूट संगम वहीं श्रद्धा की पावनता को बतलाते हैं देवभूमि के मंदिर | देवभूमि उत्तराखण्ड में न्यायी देवता के रूप मे पूजे जाते हैं गोलू देवता , गोलज्यू महाराज | नैनीताल जिले के भवाली से लगभग दस किलोमीटर की दूरी पर बसा है रमणीक , शांत एंव धार्मिक स्थल घोड़ाखाल | घोड़ाखाल न्यायी गोलू देवता के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है | इसे घंटियों के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है | घोड़ाखाल स्थित गोलू देवता का मंदिर बांज , के रमणीक वनों के मध्य स्थित है जो भव्य एंव आकर्षक है यहां पर श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है इसलिए यहां न केवल आसपास के अपितु दूर दूर से भक्तजन गोलू देवता के दरबार में आते हैं | माना जाता है कि न्यायी देवता गोलज्यू महाराज का मुख्य प्रमुख मंदिर चंपावत में माना जाता है | घोड़ाखाल व चितई को भी न्यायी गोलू देवता का प्रमुख मंदिर माना जाता है | गोलू देवता के घोड़ाखाल मंदिर में मन को शांति अनूभूति होती है | श्रद्धालु यहां पर अपनी अपनी मन्नतें कागजों , पत्रों में लिखकर मंदिर में एक स्थान पर टांगते हैं माना जाता है कि गोलू देवता उन मन्नतों पर अपना न्याय देकर भक्तों की पुकार सुनते हैं | देवभूमि उत्तराखंड के अल्मोड़ा और नैनीताल जिले में घोड़ाखाल स्थित गोलू देवता के मंदिर में केवल चिट्ठी भेजने से ही मुराद पूरी हो जाती है। इतना ही नहीं गोलू देवता लोगों को तुरंत न्याय दिलाने के लिए भी प्रसिद्घ हैं। इस कारण इन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है। कागज व पत्रों के माध्यम से मन्नतें व पुकार की अनूठी परंपरा भी गोलू देवता के मंदिर में देखने को मिलती है | मन्नतें पूरी होने पर लोग न्यायी देवता के मंदिर घंटीयां चढ़ाते हैं | घोड़ाखाल स्थित गोलू देवता के मंदिर में टंगी हजारों घंटियां गोलू देवता न्यायप्रिय होने व उन पर अटूट आस्था श्रद्धा का भी प्रमाण है | रमणीक स्थान में बसे घोड़ाखाल गोलू देवता के मुख्य मंदिर में न्यायी गोलू देवता की भव्य मूर्ति बनी हुई है , गोलू देवता सफेद घोड़े पर सवार सफेद पगड़ी धोती कुर्ता पहने न्याय प्रिय देवता बनकर सदैव ही भक्तों की पुकार सुनते हैं | गोलू देवता का मंदिर भव्य व आकर्षक है चारों ओर टंगी घंटियां व भक्तों के कागजों पर लिखे मन्नतों स्पष्ट अंदाजा लगाया जा सकता है कि देवभूमि में गोलू देवता न्यायी देवता के रूप में पूजे जाते हैं | और भक्तों की सच्चे मन से मांगी गयी हर मनोकामना पूरी करते है | गोलू देवता उत्तराखण्ड के न्यायप्रिय राजा रहे हैं, इनके दरबार में लोग न्याय की आशा में आते और उचित न्याय पाकर गोलू राजा की जय-जयकार करते वापस जाते थे। इनकी न्यायप्रियता ने इन्हें लोगों के दिलों में अंकित कर दिया और लोग इनकी पूजा करने लगे, परिणाम स्वरुप आज गोलू देवता घर-घर में सम्मान के साथ पूजे जाते हैं। गोलू देवता की जागर भी लगाई जाती है | देवभूमि उत्तराखंड के न्यायी लोकदेवता, यहाँ के जनमानस के इष्ट देव श्री ग्वेल ज्यू, गोलू देवता , गोलज्यू महाराज, बाला गोरिया, गौर भैरव या ग्वेल देवता की अपनी एक अलग पहचान एवं शक्ति है – इन्हे न्यायकारी, कृष्णावतारी एवं दूधाधारी आदि विशेषणों से विभूषित किया गया है. त्वरित न्याय देने मैं यह विश्वास रखते हैं फरियादी की फरियाद को सुनते हैं | घोड़ाखाल जहां अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विख्यात हैं वहीं यह आध्यात्म व प्रमुख धार्मिक स्थल है | यहां वर्ष भर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है | नवरात्रों व श्रावण मास में मंदिर में अत्यधिक चहल पहल बढ़ी रहती है | न्यायी गोलू देवता का घोड़ाखाल मंदिर रमणीक स्थान पर होने से यहां मन को शांति अनूभूति होती है | सच्चे मन से मांगी गयी हर मुराद न्यायी गोलू देवता पूरी करते हैं |न्यायी गोलू देवता के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट अगाध आस्था उन्हें गोलूदेवता के दरबार भव्य घोड़ाखाल गोलू मंदिर में खींच ले आती हैं जिससे यहां पर हर समय भक्तों की भीड़ लगी रहती है | दूर दूर से भक्त यहां तक की महानगरों व बड़े शहरों से भी घोड़ाखाल मंदिर के दर्शन को भक्त आते हैं | सच्चे मन से मांगी गयी हर मनोकामना पूरी करते हैं गोलू देवता | घोड़ाखाल स्थित गोलूदेवता का मंदिर भव्य रमणीक शांत एंकात स्थान में बसा है यहां मन को शांति अनुभूति होती है | देवभूमि देवों की सदैव ही तपोभूमि रही है यहां पर सदैव होता है आस्था श्रद्धा का अटूट संगम |
भुवन बिष्ट ,
रानीखेत (अल्मोड़ा) उत्तराखंड
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