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आरोप लगाने की कथा


आरोप

रंजन ऑफिस से निकला ही था।कि तेज बारिश ने अपनी रफ्तार पकड़ ली।चौराहे के मोड़ पर अचानक एक लड़की रंजन की कार से आकर टकरा गई।रंजन ने धबराकर देखा तो एक तेरह साल की बंजारन लड़की थी।उसके हाथ मे कुछ खिलौने थे।वह चौराहे पर खिलौने बेचते हुये उसकी गाड़ी से टकरा गई।रंजन के उतरकर चारो ओर देखा।वहाँ उसे कोई  नजर नही आया।शाम ढल चुकी थी।बारिश की वजह से चारो और सन्नाटा फैला हुआ था।एक्का दुक्का वाहन ही नजर आ रहे थे।देखा तो उस मासूम के माथे से खून बह रहा था।वह पूरी तरह भीग चुकी थी।व बेहोश हो चुकी थी।उसने धबराकर उसे कार में लेटा  दिया।उसे अस्पताल ले गया ।पहले तो डॉ ने एक्सीडेंट केस मानकर मना के दिया।बाद मे बड़ी मुश्किल से मानकर उसका ईलाज किया।करीब डेढ़ घंटे बाद उस लड़की को होश आया।वह अब सामान्य हो चुकी थी।इधर रात गहरा गई थी,अंजना उसे बार-बार फोन लगा रही थी।लेकिन रंजन हर बार उसका फोन काट देता।वह उस लड़की को उस जगह वापस छोड़ने गया।रात होने की वजह से वह अपना पता ठीक से बता ना सकी।रंजन उसे अकेला छोड़ना नही चाह रहा था।वह उसे घर  ले आया।अंजना को जब सारा माजरा समझ मे आया तो उसने रंजन के हौसले की तारीफ की,उस लड़की को अपनी बच्ची के साफ कड़े पहनाए ओर भरपेट खाना खिलाया।रंजन सुबह उसी चौराहे पर छोड़ने गया।देखा तो वहाँ चार,पाँच लोग खड़े होकर बाते कर रहे थे।शायद वह इसी को ढूंढ रहे थे।रंजन उन्हें देख घबरा गया।
उसने उस लड़की से पूछा-" क्या तुम इन्हें जानती हो.?,"हॉ यह मेरे ताऊ ओर पापा है, रंजन गाड़ी साइड में लगाकर उसे उनके पास छोड़ने गया।सब रंजन पर टूट पड़े।रेप और किडनेपिंग का आरोप लगाकर भीड़ इकट्ठा कर ली।बिना सच्चाई जाने ही लोगो ने उसे दोषी मान लिया ।वह अपनी बात कहना चाह रहा था।पर लोगो ने उसे बोलने का मौका ही नही दिया।तभी वह लड़की अपने पिता पर चिल्ला कर बोली-"बापू हर इंसान हैवान नही होता।बाबूजी ने मेरा ईलाज करवाया रात में छोड़ने भी आये।बरसात और लाईट न होने की वजह से मुझे ही समझ नही आया।तब बाबूजी मुझे घर ले गए।और अपनी बेटी के साथ रखा।लड़की के बयान ने आज रंजन को बचा लिया।वर्ना समाज के लोगो ने तो उसे आरोपी मान ही लिया था।वह सुकून को सांस लेकर ऑफिस की ओर चल पड़ा।लेकिन उनके जहन में एक  सवाल बार-बार कौंध रहा था।कि समाज के इस बदलते  परिवेश में सेवा कार्य भी सोच समझ कर करना चाहिए।
      वंदना पुणतांबेकर
       (परिचय)
नाम:वन्दना पुणतांबेकर
जन्मदिनांक:5-9-1970
पता:सिल्वर स्प्रिंग बाय पास रोड इंदौर
शिक्षा:एम ए, फैशन डिजाइनिंग, आई म्यूज सितार
विधा:कहानी कविता लघुकथा हाइकु आदी।

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