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सबब कोई हो हम फलक का गिला नहीं करते ..... ग़ज़ल

सबब कोई हो हम फलक का गिला नहीं करते,
 सच है हम अब दोस्तों से ज्यादा मिला नहीं करते।

चुभो के जहरीले नश्तर उसने जख्मी किया हमको,
सब देखे हैं वो तभी हम कोई फैसला नहीं करते ।

 अब के दौर में कुछ सय्याद, कुछ जल्लाद है,
 दुश्मन है जान के, दिल से वो मिला नहीं करते।

 दौलत, शोहरत, इज़्ज़त, सबकुछ लुटाया उसपे,
 वो हसीन कातिल है कभी वफ़ा नहीं करते।

तमाम बंदिशों की जंजीरे तोड़ के आया था मैं,
 इश्क वाले जाने हैं मोहब्बत में लोग क्या नहीं करते ।

 मजनू, रांझा, रोमियो, फरहाद, अपने दौर के आशिक थे,
 लैला, हीर, जुलिये,शीरी, वो होती तो क्या नहीं करते ।

 दामने इश्क पे लगें दाग़, बरसाए दुनियां ने पत्थर,
नफरत करने वाले शाहरुख़ किसी का भला नहीं करते ।

शाहरुख मोईन
अररिया बिहार

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