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Mrityu marne ke baad मृत्यु मरने के बाद

मृत्यु/मरने के बाद

मेरे मृत्यु/मरने के बाद मेरे टुकड़े टुकड़े देह अवशेष
को देखकर बोलना नहीं कि हम मौत में समा गए
मैं सुन नहीं पाऊँगा तुमारी बातें
तुम्हारी कविताएं, छू भी नहीं सकूंगा तुमारा मन
मैं अगर बात नहीं करूँ तो तुम नींद में सो नहीं जाना
मेरे कपाल में एक प्रेम से हाथ फेर देना
बोलना नही मैं मर गया हूँ
काँटे जैसे रास्ते में मैंने अपने सीने को रख दिया था
क्योंकि तुम्हें चलना था
तुमने आंखों की धारा से अपने पैर धो कर
मेरे कपाल में अंकित किया था एक चुम्बन
वह छाप अब एक सीने में एक
अभी भी सुन सकता हूँ तुम्हारी हाहाकार
रोने की पुकार
अभी मेरी आँखें कुछ देख नही सकता
लेकिन पहले से मेरी नजर और भी
फिर भी तुम सुन नहीं सकते
मैं अभी भी और ज़िंदा हूँ
मरने बाद अगर देखती मेरे आँखों
में अश्रु हैं
तुम करती हो मुझसे निश्छल प्रेम
एक धारा बहती रही है अनवरत
जैसे प्रेम की भ्रमर गूंजती रहती है कानों में
मैं कभी कभी चंचल हो जाता हूँ
मन भी चंचल एक बादल की तरह

फूलों में जैसे एक मधु की सुंगध आती है
ऐसा ही मैंने अपने मन को बांधा एक आवेश में
प्रेम के आलिंगन से मैं बांध लेता  हूँ तुम्हें
तुम प्रेम की  रस बिखर देती हो
मैं भी आतुर रहती हो इस प्रेम पाने के लिए
प्रतीक्षा करती रहती हूँ
तुम एक निश्छल प्रेम से बंधे हो मेरे साथ
युग युग से शताब्दी से मेरे प्रेम से
तुम हो मेरे चंचल मन की एक गाथा
यह विवशता नहीं है यह  व्ययकुलता है
कितनी अग्नि परीक्षा लोगे तुम
एक तपस्या है यह प्रेम
यह प्रेम दीप जलेगा हमेशा
कठिन है इसे बुझाना
एक प्रेम स्पर्श देकर तुम निभाना इस प्रेम रीत को
शाम होते ही कुछ लोग,मेरे परिचित दोस्त और
करीबी दोस्त भी आते है
मेरे हॉस्पिटल के बिस्तर के पास
मैं हॉस्पिटल  में हूँ
एक मरीज की तरह
इस शांत शाम में लगता है
सभी दुख में है
एक सूखा आँगुर की तरह
मेरे चेहरे में एक श्वेत दाग आ गए है
लगता है मेरे में कोई जुनून नहीं है
खून की कमियों से मैं टूटता जा रहा हूँ
लोग आते है , मुझे देखते है
सांत्वना देते है
फिर वे लोग चले जाएंगे
मैं फिर से आसमान देखने लगता  हूँ
आसमान और मेरे रंग एक ही है
फिर भी मैं पड़ा रहता इस हॉस्पिटल में
क्योंकि तुमने वादा किया था कि
तुम मुझे फिर से जीवित कर दोगी
तुम्हारे प्यार से।
कुछ आंसू के बूंदे निकले
इस नयन से या उस नयन से
तुम्हारे या मेरे
लगा मोती जैसा
संभलकर रखा है मैंने
इन मोती जैसे बूंदो को
सूखने नहीं दिया
कुछ जज़्बात है, कुछ उदासी
इन आंसू में …………

रजत सान्याल
बिहार

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