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बेटे बेटियां अभिवादन करना सीख जायेंगे तो उनके विचार भी श्रेष्ठ होंगे - विष्णु पुजारी

*बेटा पढ़ाओ,संस्कार सिखाओ अभियान*

*बेटे बेटियां अभिवादन करना सीख जायेंगे तो उनके विचार भी श्रेष्ठ होंगे - विष्णु पुजारी*

*घर में अपने बुजुर्गों को प्रणाम करना,उनका हाल चाल पूछना,उनको सहारा देना हम आवश्यक नहीं समझते।*


*सालासर - 17-मार्च-2020*
         
*बेटा पढाओ - संस्कार सिखाओ अभियान पर अपने विचारों के माध्यम से सालासर धाम से विष्णु पुजारी ने कहा कि* कवि हरीश शर्मा का अभियान बेटा पढ़ाओ,संस्कार सिखाओ के अंतर्गत संस्कृत का उपर्युक्त श्लोक आज अत्यन्त उपयोगी है।अभिवादन करने वाले और वृद्धों की सेवा करने वालों की चार चीजें बढ़ती हैं_आयु,विद्या,यश और बल।
*अभिवादन क्या है और क्यों करना चाहिए*
आधुनिक परिवेश में हमने स्वयं भी नमन करना,प्रणाम करना,चरण स्पर्श करना छोड़ दिया है। प्रातः आंख खुलने के बाद गुड मॉर्निंग के सन्देश दूर दूर तक भेजना हमारी दिनचर्या में शामिल हो गया है,लेकिन घर में अपने बुजुर्गों को प्रणाम करना,उनका हाल चाल पूछना,उनको सहारा देना हम आवश्यक नहीं समझते। फिर बच्चों से उम्मीद रखना तो बेकार ही है। ये सब हमको अपने व्यवहार में लाना होगा और बच्चों को शुरू से ही सिखाना होगा ।जब हम किसी के चरण स्पर्श करते हैं तो हमको झुकने का संस्कार मिलता है,विनम्रता का उदय होता है और सबसे बड़ी बात स्पर्श से ऊर्जा का संचार होता है, एक स्नेहिल रिश्ता बनता है और बुजुर्ग जब हमारे सिर पर अपना सनेहयुक्त हाथ रख कर आशीष देते हैं तो उनके दिल से निकली दुआ हमारे मार्ग के व्यवधान दूर करने सदा हमारे साथ रहती है। बेटे बेटियां अभिवादन करना सीख जायेंगे तो उनके विचार भी श्रेष्ठ होंगे। वृद्ध घर के हों या बाहर के उनका सम्मान करना,उनकी समस्याओं को सुनना,उनकी सेवा करना ,उनसे प्यार करना बच्चों को सिखाना चाहिए। आपके बच्चे को जो सही दिशा आपके बुजुर्ग दे सकते हैं वो कोई दूसरा नहीं दे सकता। विद्यालय किताबी ज्ञान देगा,अच्छा जॉब कैसे मिले ये बता सकता है,नवीन आविष्कार कैसे करना है अवश्य सिखाएगा ,लेकिन आप एक अच्छे इन्सान कैसे बन सकते हो,आपकी सोच कुत्सित न हो ,ये नहीं सीखा सकता। आपके दिल में प्यार की,अनुराग की,दया की, विनम्रता की प्रवृत्ति उत्पन्न नहीं कर सकता।
इसीलिए कहा कि बड़े जो संस्कार देंगे,आशीष देंगे उससे आयु ,विद्या,यश और बल की वृद्धि होगी। यदि इस श्लोक को आत्मसात् कर घर घर में लोग अपने बुजुर्गों को मान सम्मान देना प्रारम्भ कर दें तो हमारे देश में वृद्धाश्रम बनाने की *आवश्यकता न हो और भावी पीढ़ी भी संस्कार वान बनेगी।*
*बेटे बेटियों में संस्कार होंगे तो समाज का स्वरूप ही बदल जाएगा।*
  *मेरा विनम्र अनुरोध है कि सभी अपने अपने घर से प्रयास करें ,स्वयं भी और बच्चों को भी दिशा देने का प्रयास करें ।हमसे ही समाज है । एक कदम आगे बढ़ा कर तो देखो घर ही स्वर्ग बन जाएगा।


   रिपोर्टर (लेखक) हरीश शर्मा

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