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कविता जिंदगी (कवयित्री फ़िज़ा फातिमा)

जिंदगी

जिंदगी भी क्या चीज होती है.
 चलती है सांसे जब तक हर चीज तुम्हारी मीत होती है
 लाख खुशी बटोर देता है इंसान जिंदगी से. 
 खुशी में भी खुश रहता है किसी की कमी से. 
 शहनाई में तन्हाई का एहसास होता है. 
 जब आपका कोई ना आपके पास होता है. 
 वक्त की झोली में खुशियां मिलने को बेकरार रहता है. मिलती है जो खुशी को नसीब बन जाती है. 
 नहीं मिलती है जो चाहत वाली खुशी. 
 वह तकदीर पर टल जाती है. 
 हजार शिकायतों का बोझ लेकर चलता है इंसान. 
 मिल जाती है सारी खुशियां कभी ना शुक्र अदा करता है इंसान. 
नहीं मिलती है एक चीज उसे तो खुदा से झगड़ता है इंसान. 
 यही कहानी जिंदगी की रवानी होती है. 
 जो बिन मांगे मिल जाती है उसका कभी ना शुक्र अदा करता है इंसान. 

नाम -    फ़िज़ा फातिमा 
 उत्तर प्रदेश-   पीलीभीत

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