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कवयित्री फिजा फातिमा की कविता बा कायदा kavyitri fiza fatima ki kavita Bakayada

बा कायदा


बा कायदा तेरी मोहब्बत का ऐहतराम  आज भी करतेहै

तुझसे इश्क़ है इस क़द्र.

तेरा ऐहबार आज भी करते हैं.

तुझ को एहसास नहीं मेरी तबाही का.

टूटे हुए दिल पर ग़ुमान आज भी करते हैं.

चाह कर भी ग़फ़लत में नहीं पढता ये दिल.

एक बार तो कर ले एहसास मेरी ईमानदारी का.

टूटे हुए काच की तरह माज़ूर हो गई.

तूने तो देख कर छोड़ दिया.

जिस ना उठाया उस से भी दूर हो गई.

साहिल भी नहीं भाया.

डूब भी रही हु.

वैसे तो शामिल हु शाख ए दरख़्त पर पत्ते की तरह.

मगर कोई क्या जाने.

में हवाओ से टूर भी रही हु.

नाम -  फ़िज़ा 
उत्तरप्रदेश -  पीलीभीत

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