कलम लाइव पत्रिका

ईमेल:- kalamlivepatrika@gmail.com

Sponsor

चुनावी सियासत/ Chunavi Siyasat/हमीद कानपुरी

 ग़ज़ल/ghazal/चुनावी सियासत/Chunavi Siyasat


ज़ह्र आलूदा  चुनावी   कुल  सियासत  देखकर।
हौसला होता  नहीं  लड़ने  का नफरत  देखकर।

पहले मिसरे की नज़ाकत औ लताफ़त देखकर।
खुश हुई महफ़िल बला की ये ज़हानत देखकर।

मंज़िलों  की   सिम्त  बढ़ते  जा रहे  मेरे  क़दम,
कुल जहां  हैरत   ज़दा  मेरी  हरारत   देखकर।

साफ़ सुथरी  दूर तक दिखती नहीं है अब कहीं,
शर्म आती आजकल की बदसियासत देखकर।

ग़लतियाँ उससे  हुईं  हैं  अनगिनत इस  दौर में,
कुछ नहीं कहताकोई लेकिन शराफ़त देखकर।

हमीद कानपुरी,
अब्दुल हमीद इदरीसी,
179, मीरपुर, छावनी, कानपुर-208004

No comments:

Post a Comment