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राष्ट्रीय बालिका दिवस पर विशेष (24 जनवरी) / कविता - बेटियाँ

राष्ट्रीय बालिका दिवस पर विशेष (24 जनवरी) 


शीर्षक- बेटियाँ

बंद करो अब बोझ समझना, 
मैं हर मोर्चा डटकर लड़ती हूँ, 
बेटा कहना बंद करो,मुझे अब 
मैं बेटी सुन सम्मानित होती हूँ,  

कभी जिस्म पर कभी वस्त्र पर
करते छींटाकशी,प्रयास रोकने का, 
जब भी मौका मैं पाती हूँ
भरती उड़ान फिर अंबर तक, 

गर्भ में अब भी मरती हूँ
ट्रैकों पर पडी़ भी मिलती हूँ, 
अपना सम्मान बचाने को
वस्त्रों की गठरी बन घर से निकलती हूँ, 

मैं दूर-दराज के गांवों में
बिन संसाधन भाग्य से लड़ती हूँ, 
मैं सफल रहूँ या होउं विफल
पर आक्रमण से नहीं ड़रती हूँ, 

मान तुम्हारा बढ़ा रहीं हूँ
पदक देश को दिला रहीं हूँ, 
हारी नहीं हूँ इंतेहानों से
नए मानक मैं रचा रहीं हूँ, 

अंजू 'लखनवी'
असिस्टेंट प्रोफेसर समाजशास्त्र
श्री महेश प्रसाद डिग्री कालेज ,लखनऊ

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