दिल मे बस तुम हो
दिल मेरा धड़कता है ।आवाज़ एक हीआती है।
नाम तेरा धड़कने सुनाई है।
जो दिलको बहुत भाती है।।
तेरे नाम की गूंज से ।
दिल मे फूल खिलते है।
मुरझाये हुए चेहरे पर ।
हंसी के गुलाब खिलते है।
क्योकि मेरी धड़कनों में,
तुम जो रोज आते हो।।
तुम न होते तो,
मेरा क्या होता ?
शयाद मेरा दिल,
ही न धड़कता।
एहसास मोहब्बत का,
भी न होता।
और मोहब्बत पर
मै न लिखता।।
मेरे गीतों में जो,
कसीस होती है।
वो मुझे तुम से,
ही मिलती है।
मेरे गीतों की जान,
अब तुम हो।
तभी तो मोहब्बत पर,
हम लिखते है।
इसलिए शुक्रिया अदा तेरा,
दिलसे करते है।।
तेरा चेहरा जब,
मुझे दिखता है।
मोहब्बत के गीत,
वो लिखवता है।
तेरी आँखों का,
तो कहना क्या।
दिनमें ही मदहोश,
कर देता है।
फिर होश कहाँ,
संजय को रहता है।
वो बारबार नाम,
तेरा ही लेता है।।
लगता है वो तुमसे,
मोहब्बत करता है।
तभी तो तेरा नाम,
लेकर वो लिखता है।।
संजय जैन (मुम्बई)

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