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मजदूर की कथा कहती कविता रोटी

मै व्यस्त हूँ रोटी कमाने में 

देश-विदेश में क्या होता है,
कहा हमले हुए आतंकी
कितने मरे- घायल हुए;
मुझे मतलब नही जमाने से,
मै व्यस्त हूँ रोटी कमाने में।।

     अर्थव्यवस्था ही यहाँ ऐसी है,
     जो परिश्रम करते भूखे मरते,
     अनदाता अन उगाते फ़ासी लगाते,
     मै यही सब देखने में व्यस्त हुआ,
     समझों मेरा भी अंत हुआ।।

कौन अच्छा है कौन बुरा है,
कौन रोता है कौन हँसता है,
इंसानियत की बात ही पाप है;
सबको अपनी-अपनी पड़ी है,
मुझको भी मेरे घर की पड़ी है।।

     गिड़गिट ने वादों के लिस्ट गिनाये,
     ये हिंदूवादी है वो मुस्लिमवादी,
     ये दलित है वो ब्राह्मण है;
     मै नही पड़ता इन झमेले में,
     मै व्यस्त हूँ रोटी कमाने में।।

                  मस्ताना



   


रचनाकार पूरा नाम:- राजू  कुमार
पता  :- 721, लोधी रोड कॉम्प्लेस,  नई दिल्ली:-110003
मोबाइल :- 8802208876

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