🌷यशवंत"यश"सूर्यवंशी🌷 भिलाई दुर्ग छग विधा हाइकु टूटा मकान ~~ दीपक बना रहा दीन आदमी । चाइना दीये धाक जमा रखे है~~ देशी खो रहे। जलता दीप रोशन हुए घर~~ तल में तम। पर के घर जला रहे दीपक ~~ स्वंय है तम। 🌷यशवंत"यश"सूर्यवंशी 🌷 भिलाई दुर्ग छग
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