एक रचना आज के राजनीति पर ...
राजक और अराजक शब्दों में अब कोई भेद नहीं ,
कौन है हारा कौन है जीता उसका कोई खेद नहीं .
तब भी जनता हारी थी और अब भी जनता हारी है .
दागदार सबके प्रत्यासी कोई हंस सफेद नहीं .
कवि डी एम् गुप्ता "प्रीत"
नवी मुंबई

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