विधा –कविता
शीर्षक–‘निर्गुण याचना’
(सूफी कविता)
“विषय इन्द्रियों के देवता
हो चेतन के जीवात्मा ।
करो प्रकाशित आदि अनन्त में
हो ऐसे नियत गुणों का याम।।
तुम बिनु हो स्पर्श शरीर
औ देखूं मैं बिनु आंखों के
गन्ध ग्रहण हो बिनु नाको के
हो तेरी ऐसी आलौकिक महिमा ।।
बिनु पैरों के दर्शन पाऊ
बिनु कानों के तान सुनूं ।
बिनु मुंह के जिह्वा दे साथ
बनूं बिनु वाणी की वक्ता ।।
बने सभी एकेश्वर वादी
और मनुष्यता मात्र हो प्रेम।
गुरू की महिमा हो ऐसी
कि बने सभी उनकी संतान।।
जाति बिना हो जीवन यापन
संस्कृति बने मानवता वादी।
औ प्रेम की भाषा हो इसी
कि!कर्म ही बने धर्म का ज्ञान ।।"
लेखिका– रेशमा त्रिपाठी
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश।
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