भारत बन्द का ऐलान करते है
नारी के मान - सम्मान की बात करते हैमासूमों के बचपन को खुशहाल करते है
जो फूल-कली मसले जेल - वेल - खेल नही
रेप - बलात्कार की फ़ाँसी माँग करते है
चलो हम, भारत बन्द का ऐलान करते है।
भूख़ - प्यास मिटा पेड़ो पे जिस्म लटकाने
चीर - हरण कर मृत्युलोक पहुँचाने वालो को
बीच चौराहे नंगा लटकाने की गुहार करते है
रावण सा पापी को जलाने की प्रथा बनाते है
चलो हम, भारत बन्द का ऐलान करते है।
धर्म-कर्म, जाति - पाती, ऊँच - नीच भूल
कठुआ - निर्भया का किस्सा नही दोहराने देंगे
मां - बहन - बहु - बेटी देवी स्वरूपा - पूज्य है
चलो सब मिलकर इस जग को बताते है
भारत की नैतिकता हम बरकरार रखते है
चलो हम,भारत बन्द का ऐलान करते है।
आरक्षण के पक्ष - विपक्ष में भारत बन्द किया
एकजुट होकर कोर्ट को चुनॉती दे डाला।
पद्मावती के विरोध में सम्पूर्ण भारत एक हुआ
भारत में तोड़ - फोड़, उथल - पुथल किया
ऐसी ही एकता, चलो एक बार दिखा देते है
बलात्कारी को यमलोक की मंजूरी दिला देते है
चलो हम, भारत बन्द का ऐलान करते है।
फ़िल्म स्टारो सा तख़्ती लेकर खड़ा नही होना
मीडिया राजनेताओं बुद्धिजीवी सा बात नही
फ़ालतू का दिखावा पब्लिसिटी नही करना
कानून की आँखो से पट्टी खोल देते है
चलो हम पागल कुत्ते को फ़रसे से काट देते है
बहुत इन्तजार किया, कानून हाथ में लेते है
चलो हम, भारत बन्द का ऐलान करते है।
कवि मस्ताना
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■ घरवानी मेरी ऐसी हो
Wah.. Mastana ji wah
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