छुट्टियां व नानी
जब जब गर्मी की छुट्टियां आयेगीतुमको अपनी नानी की याद आयेगी
लेकर मम्मी तुम को अपने साथ
फटाफट मामा के यहां पहुंच जायेगी
जब जब गर्मी...........................
नानी कर रही होगी तुम्हारा इंतजार
लपककर तुम को गले से लगायेगी
बंलैया लेगी हजार चूमगी बार बार
फिर तुमको पूरी हलवा खिलायेगी
जब जब गर्मी...........................
गर्मी से जब अमियाँ पक जायेगी
नानी हमकों खेत पर लेकर जायेगी
खिलायेगी हमको खट्टी मीठी अमियाँ
सारे गाँव की जमकर सेर करायेगी
जब जब गर्मी...........................
अपनी पुरानी एलबम हमें दिखायेगी
ये तुम्हारे नाना है, ये तुम्हारे मामा
और ये रही तुम्हारी मम्मी, देखो तो
अंगुलियां लगा लगाकर हमें बतायेगी
जब जब गर्मी...........................
कभी मंदिर कभी बाजार लेकेजायेगी
हमकों मनपसंद खिलौना दिलायेगी
और लगेगी जब बहुत तेज गर्मी
मटके वाली ठंडी कुल्फी खिलायेगी
जब जब गर्मी...........................
जब हमारी मस्ती हद पारकर जायेगी
नानी चुपके से हमें सबक सिखायेगी
न कुछ दिलायेगी न कुछ खायेगी
तब मम्मी नानी को प्यार से मनायेगी
जब जब गर्मी...........................
जब नानी प्यार से मान जायेगी
हम सब को गले से लगायेगी
सुनायेगी रातमें एक राजा की कहानी
सुनाते सुनाते सुबह हो जायेगी
जब जब गर्मी...........................
पापा आ जायेगें इक दिन लेने
लगेंगे मम्मी से कुछ इस तरह कहने
क्या सारी छुट्टियाँ यहीं बितायेगी
या इनको आगेगी भी पढ़ायेगी
जब जब गर्मी...........................
नानी रोकेगी एक दो दिन पापा को
ज्ञान की एक दो बाते बतायेगी
परिवार में रहना बेटा मिलकर
पलभर की जिंदगी यूँही बीत जायेगी
जब जब गर्मी...........................
रेलवे स्टेशन तक हमें छोड़ने जायेगी
हंसी खुशी हमें गाड़ी में बिठायेगी
रहना बेटा हँसी खुशी रखना ख्याल
यह देख टेशन से गाड़ी छूट जायेगी
जब जब गर्मी..........................
जब तलक ओझल न होगी नानी
माँ की नजरों से, माँ हाथ हिलायेगी
नानी रहे ना रहे दोस्तों पर
पर नानी की हमेशा याद आयेगी
जब जब गर्मी.........................
नानी को न बनाइये दोस्तों मोबाइल
वाट्सएप फेस बुक या ट्विटर
वरना नानी फिर केवल स्कूल की
किताबों में ही नजर आयेगी
जब जब गर्मी..........................
कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद...
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