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बचपन

 बचपन 

अब जो मिले हो तो याद करो 
उस बचपन को ....
गली के कोने में खड़ा देख मुझे 
साथ खेलने को पहली बार  
कहा था तुमने मुझे ...........
क्या पता था वो बचपन का खेल 
मुक्कमल इश्क बन जायेगा 
और एक दिन........ 
उसी गली से तुम किसी और के साथ चल दोगे, 
आज भी एक आम चुपके से,
मैं तोड़ कर लाता हूँ ...........
इंताजार करके तेरा भारी मन से  
तुझे सोंचकर खा लेता हूँ 
जब भी बारीश होती है ,भाग कर मैं   
बहार आ जाता हूँ .........
तुझे याद करके ठहरे पानी में 
अकेले हीं कूद लगता हूँ ,
पानी की छपाकों में वो बचपन याद करता हूँ ।
अब तुम भी आये हो, ज़रा याद करो ............
अब ज़रा ये सब संभालो, 
बहुत वक्त निकल गया बहुत , तुम देर से पहूँचे हो 
मैं भी अब चला पड़ा  ......
फिर से तेरी राह तकने को .........

#मानस।।

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