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मुलाकात का अहसास.. Mulakaat ka ehasas

मुलाकात का अहसास


उदास रात के साये बड़े घने है।
तेरी चाहत के उजाले बहुत जरूरी है।
चंद लम्हो की मुलाकाते महकती मुझमे।
जिसके आगोश में सांसो का सिलसिला कायम है।।

महकी महकी सी फिजाओ में तेरी खुशबू है।
दूरियां जैसे सीमटती हो इन हवाओ में।
कितने नजदीक से लगते हो फ़ासलों से भी।
तेरे पास होने का अहसास दिलाता है ये दिल।।

कल का क्या हाल होगा ये तो खुदा जाने।
आज तुम मेरी मोहब्बत की कहकशा हो बस।
जितना जीना है आज रात ही जी लेता हूँ।
क्योकि उदास रात के साये बड़े घने है।।

तेरी चाहत के उजाले बहुत जरूरी है ।
दिन तो सुकून से जाता है।
रात आते ही फिर ख्याल आता है।
आँखों को बंद जैसे ही करता हूँ।
तेरी तस्वीर बार बार सामने आ जाती है।।

संजय जैन (मुम्बई)

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