जन सेवक
तुम्हे जनता का सेवक
कैसे मान लूँ?
लालच दे
झूठे वादे कर
भीड़ इक्ठ्ठा करते
तब जाके जीत हासिल करते
अपने भाषणों से
दंगे कराते
सच्चे अर्थो में
यदि तुम जन सेवन हो
देश प्रेम हो
त्याग दो सरकारी सेवाएँ
पेंसन बीमा फ्लैट;
जतबक पद पर हो
तबतक ही बॉडीगार्ड रखो
उसके बाद आम इंसान बनो;
पार्टी या जीत नही
जनता की सोचों
सच्चाई के राह चलो
गुंडों को टिकट ना देने का नियम निकालो
चरित्रवान-न्यायप्रिय नेता-मंत्री बने
अच्छा कार्य पक्ष-विपक्ष करे सहयोग करो
सच्चे अर्थो में जन सेवक बनों।
सिर्फ़ कहने को नही
तुम देश - भक्त बनों
यदि तुम्हारे राज में
कोई भूखा रहे
तुम भी भूखा रहो
उसकी पूर्ति में
सुख चैन अपना त्याग दो
सच्चे अर्थो में
देश-जन सेवक बनों।
कवि मस्ताना
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