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कविता - दिल वाली दीवाली/Dil waali Diwali/Anju lakhanawi

दिल वाली दीवाली 

Diwali

 कहाँ है दिल वाली दीवाली 
छाई चहुँ ओर व्हाट्सएप वाली... 

चूरा-गट्टा अब छुए न बच्चे
खुशियाँ चाकलेट के डिब्बे वाली... 

मिट्टी के घरौंदे,चक्की-चूल्हा हुए नदारद
कृत्रिम खिलौने से सजने वाली.... 

मिलना-जुलना,आशीर्वाद ,बधाई
अब सिमटा सेम टू यू तक भाई...

दिखती सम्पन्नता गायब उल्लास
बाजारों की चकाचौंध वाली... 

तेल के दिए आउटडेटेड मैसी
रंगीन बैटरी चालित झालर वाली...

समय नहीं अपनों संग दो पल 
यादें बनाते बस सेल्फी वाली...

घर के पकवान आयली लगते
डिब्बा बंद रसगुल्लों वाली... 

कहाँ है दिल वाली दीवाली
छाई चहुँ ओर व्हाट्सएप वाली...

अंजू लखनवी

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