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आधुनिकता के इस युग में नारी की स्थिति 'एक पक्ष'.. Adhunikta ke is yug me nari ki sthiti "ek paksh"

आधुनिकता के इस युग में नारी की स्थिति 'एक पक्ष'

हम कहते हैं कि हिंदुस्तान पहले से बहुत बदल गया है आज महिलाओं की स्थिति सुदृढ़ है मगर है कहां सुदृढ़ स्थिति है यदि सुदृढ़ स्थिति है तो आए दिन किसी भी लड़की के साथ बलात्कार जैसी घटनाएं क्यों घटित होती है क्यों कहीं पर मार कर फेंक दी जाती है चाहे फिर वह जवान हो या 6 महीने की बच्ची ही क्यों ना हो क्यूँ नहीं सुरक्षित है वह आज भी  जबकि वर्तमान समय तो पूरा का पूरा नियम कानून संविधान से भरा पूरा है फिर ऐसी स्थितियां समाज में वरिष्ठ जनों के रहते हुए कैसे उत्पन्न होती है

. फिर कहते हैं कि पुरातन से आधुनिकता की ओर रुख कर रहे हैं मगर आज यथा स्थिति को देखते हुए बड़े ही सोचनीय शब्दों में कहना पड़ता है कि आखिर किस समाज में जी रहे हैं हम , भले ही पाश्चात्य सभ्यता मैं हम लिप पुत चुके हैं  और निरंतर  इस ओर अग्रसर है हम अपने संस्कारों की रवायत भूलते जा रहे हैं अपनी मां बहन बेटियो के प्रति सम्मान का भाव कहीं पर होते जा रहे हैं आखिर किस के मद में चूर हो गए

इसमें कोई शक नहीं की समय के साथ साथ परिवर्तन होना चाहिए और नए-नए आचार विचार व्यवहार प्रणाली अपनानी चाहिए मगर इसका मतलब यह नहीं कि हम अपने संस्कारों ,मर्यादा सब कुछ छोड़ कर अश्लीलता पर ही उतर आए
जी हां मेरा इशारा वर्तमान समय में घटित हो रहे हैं   नारी के प्रति सोच की ओर है आजकल के युवाओं ने  ,बुजुर्गों ने  या फिर वह किसी भी तरह का व्यक्तित्व रखता हो सब मिलकर  पता नहीं किन  ख्याली पुलावो  में जीते आ रहे हैं  और  अपनी सोच को तो खत्म ही कर दिया है  फिर कहते हैं  कि यह तो  पाश्चात्यकरणीये  प्रभाव है  जबकि कोई सभ्यता व संस्कृति  ऐसे नहीं कहती  कि आप किसी के साथ बदसलूकी पूर्ण व्यवहार करें , किसी को गलत नजरों से देखें किसी के साथ अश्लीलता करें बेतुकी बातें करें अन्य अन्य प्रकार...

 मैं बात करूं कि जब एक लड़की जन समूह सै भरपूर राह पर जा रही होती है या कहीं पर भी हो तो उसका आकलन किन किन रूपों में किया जाता है शायद उस समय इंसानियत को तो मार कर कहीं दफन कर दिया हो और हैवानियत का सहरा सर पर सजा रखा हो ,इस तरह से पेश आते हैं मगर शायद यह भूल जाते हैं कि उनके भी घरों में बहन बेटियों पलती है अगर हम खुद ऐसा व्यवहार करेंगे तो बदले में हमें भी ऐसा ही सलूक मिल सकता है
जहां तक की मै बुजुर्गों की बात करू तो इनका तो कहना ही क्या जब छोटे गलती करते हैं तो बड़ों का फर्ज बनता है कि उन्हें डराया धमकाया जाए मगर यह लोग ऐसा नहीं करते उल्टा खुद मजे और लेते हैं  भले ही लड़की इनकी बहन बेटी जैसी हो या पोती जैसी हो ,इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता इनका जमीर नहीं जगता , सिर्फ और सिर्फ इन्हें तो जैसे कोई फिल्म या टीवी शो देखने को मिल गया हो

इस तरह से तो उनका घर से बाहर निकलना ही दूर्भर हो जाएगा , जो कि सही नहीं है क्योंकि अगर नारियों के प्रति ही ऐसा व्य़वहार किया जाएगा तो फिर समाज क्या देश क्या इंसानों की खेती कर पाएगा? एक और  बात करूं सोशल मीडिया की, फेसबुक टि्वटर व्हाट्सएप या अन्य अन्य प्रकार है, जब किसी से बात की जाती है तो पहले तो ठीक-ठाक बात करते हैं मगर जैसे ही सामने वाली  यदि लड़की है और उसने बात करना प्रारंभ किया तो धीरे-धीरे अश्लीलता पर उतर आते हैं कई बार तो हद तक हो जाती है फोन करते हैं और कहते हैं कि तुम लड़की हो इसका सबूत दो ,तब मैं कवि कुमार गिरीश बात करता हूं क्या उन्होंने अपनी मां से कभी यह सवाल किया है कि तुम मेरी मां हो इसका सबूत दो

यदि कोई लड़की किसी लड़के से बात कर रही है तो हम यह नहीं देखते की वह उसका भाई हो सकता है कोई रिश्तेदार हो सकता है घर परिवार का हो सकता है नहीं हम सिर्फ उसका किन किन शब्दों में आकलन कर देते हैं जिनको मैं बयां नहीं कर सकता ....शायद आप लोग समझ चुके हैं और तों और यदि कोई लड़की किसी लड़के से बात करना प्रारंभ कर दें तो वह उसको अपनी जागीर समझने लगता है यह क्या कहा कि बात हुई
यदि एक लड़का और एक लड़की आपस में एक दूसरे से प्यार करते हैं चाहत रखते हैं तो उन्हें हम किन किन नामों से संबोधित करने लगते है जो कहीं ना कहीं समाज का घटियापंन उजागर करता है
 एक ओर जहां में आज के युवाओं की बात करूं तो उन्होंने तो प्यार मोहब्बत इश्क का ऐसा हाल किया है कि सिर्फ जिस्मानी बना कर रख दिया है  उन्हें किसी की भावनाओं से कोई मतलब नहीं उन्हें तो सिर्फ  एक सुंदर सा शरीर चाहिए  और अपनी वासना पूरी करनी होती हैं

हद तो तब हो जाती है जब एक शिक्षित व्यक्ति जो किसी सर्वश्रेष्ठ पद पर आसीन हो चाहे फिर वह शिक्षक हो डॉक्टर हो प्रशासनिक अधिकारी हो कोई आर्मी का व्यक्ति हो किसी समय में जगत का व्यक्ति हो अर्थात किसी भी प्रकार का पद लोलुप व्यक्ति जब इस प्रकार की हरकतें करता है  जो कि निंदनीय है

जिसका समाज पर एवं देशकाल पर नकारात्मक प्रभाव पडना स्वाभाविक प्रक्रिया है और एक लड़की वं एक प्रेमी जोड़े पर और घर परिवार पर इनका दुष्प्रभाव देखा जा सकता है जिसके कारण स्थितियां यहां तक बन जाती है कि आज किसी को किसी पर जल्दी ही विश्वास नहीं होता चाहे सामने वाला लाख सर पटक पटक कर बात करें
एक लड़की के भी कुछ अरमान होते हैं कुछ सपने होते हैं कुछ भावनाएं होती है उसके भी दिल होता है वह भी इंसान है ऐसा तो है नहीं कि वह सीधी ही जन्नत से उतर कर आई हो अगर जन्नत से उतर कर भी आई होती तो भी उसके सीने में दिल तो होता ही है वह भी सम्मान योग्य है उसमें भी प्रतिभा  , योग्यता होती है वह भी हौसलों की उड़ान भर्ती है

अतः जरूरत है कि खुद में सुधार किया जाए विशेष तौर से जो नव युवा आज आने वाले भविष्य का एक कीर्तिमान सपना है उन्हें इन घटियापनो को छोड़कर कुछ अच्छे संस्कारों का आह्वान करना होगा और एक नारी चाहे लड़की के रूप में हो ,मां -बहन -बेटी किसी  भी रूप में हो सभी को समान दृष्टि  से आंकना होगा  एवं जो सम्मान हमने लड़कियों के प्रति खो दिया है उसे पुनः प्राप्त करना होगा तब जाकर कहीं सार्थकता सिद्ध होगी..।

                परिचय
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नाम :-  गिरीश सोनवाल
उपाधि:- कविराज कुमार गिरीश
पिताजी:रामचरण जी सोनवाल
माताजी:संतरा देवी
जन्म :25may 1995
Address : Raigar mohall, hingotiya road, mirzapur Gangapur -city, sawai-madhopur (Rajasthan) 322201
शिक्षा  :"post graduate  nd upsc student
 लेखन विधाएं: -वीर (ओज) एवं श्रृंगार ,मुक्तक छन्द,
 सामाजिक एवं आध्यात्मिक लेखन कार्य
 साहित्य के क्षेत्र में सम्मान भी प्राप्त
विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित रचनाएं
अभी तक 18 Books pr  लेखन कार्य किया गया

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