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माँ शारदे


             "माँ शारदे"

कंठ - स्वर  बिखरा  रहे  हैं
शब्दों  को  सम्मान  दे  दो।
माँ शारदे! हम सर्वजन को
ज्ञान  दे  दो ध्यान  दे  दो।।
           हम   संवरना  चाहते   हैं।
           जैसे  कच्चे  से घड़े  हम।
           अब   ठहरना  चाहते   हैं
           अपने पैरों पर खड़े हम।।
हर   तरफ   छाई   उदासी
संजीवनी  सी  जान दे दो ।
माँ शारदे! हम सर्वजन को
ज्ञान दे  दो  ध्यान  दे  दो।।
       तुम   कृपा   ऐसी   करो  कि
       हम सृजन  की  लौ  जलाऐं।
       एक  नए  अहसास   से  हम
       कुछ भजन और गीत गाऐं।।
ध्वज  पताका  फैले जग में
ऐसे  तुम  वरदान  दे   दो ।
माँ शारदे! तुम सर्वजन को
ज्ञान  दे  दो ध्यान  दे  दो।।
       मन मगन अलसा रहा है
       स्वर-सुरीली  तान दे दो।
       गाए  जब सावन मल्हारें
       झूमते  वह  कान दे दो।।
शब्द   हर    इतरा   रहे   हैं
स्वर व्यंजना सी आन दे दो।
माँ  शारदे! हम सर्वजन को
ज्ञान   दे  दो ध्यान  दे  दो।।
                 @डाॅ.यशोयश

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