प्रकाश के सारथी
दीप जलाओदीप जलाओ
जलाओ कि
अंधियारा बहुत है
आंधिया भी,
भरोसा बहुत है
हाथों की कर्मठता पर
ऑखो की भाषा पर
भाषा की फसलों पर
खेतों मे पड़े बीजों पर
उनके अंकुराने पर
कपास से रूई
रूई से उजियारा पाने का ....।
भरोसा बहुत है
बहुत है भरोसा
कर सकने न कर सकने के बीच
अमावस की रात
पृथ्वी पर
एक नया प्रकाश -पुंज उगाने का
समूची आकाश गंगा
उतार लाने का ..।
जलाओ दीप
जलाओ दीप
ताकि बह पड़े
भागीरथी रोशनी की
गली गलीकूचो मे
उमड़ पड़े विश्वास
जन जन मे
प्रकाश के सारथी होने का
दयाशंकर बर्मन सुबोध
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