विधा : गीत
शीर्षक *जीवन है अनमोल*
जीवन है अनमोल तो,
क्या लगाओगे तुम मोल।
बिकता है सब कुछ,
पर मिलता नही जीवन।
इसलिए संजय कहता है।
क्यो व्यर्थ गमा रहे हो,
यह मानव जीवन।।
मिला है बहुत प्यार,
अपनो से हमें यार।
फिर क्यो किसी का,
हम दिल दुखाये यहां।
हंसी खुशी के संग,
जीवन को जीये हम।
हिल मिलकर सब रहे,
सयुंक्त रूप से हम।।
क्या छोटा क्या बड़ा क्यो,
इस चक्कर में पड़ते हो।
और भेदभाव अपनो में,
तुम क्यो करते हो?
मुश्किल से मिला हैं,
तुमको ये मानव जीवन।
तो मिलजुल कर तुम,
जी लो, ये मानव जीवन।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
25/06/2019
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