हास्यमेव जयते
ना कोई लाईकर है ना कोई कमेंट।ठहरा मै ना महकने वाला सेंट।।
एकदिन पत्नी मेरी
मुझसे अकड़ गयी
बैठकर सामने मेरे
कलम को पकड़ गयी
बोली रातदिन लिखते
जवानी मे बुड्ढे सा दिखते
लिखने का ना तेरे अर्थ
सारी कविता तेरी व्यर्थ
लिखते मरे पर्मानेंट।। ना कोई - - - -
और आगे उन्होंनें क्या कहा
जो भी कहा उसे मैं सहा
सारा दिन मेरे पे ही लिखते
काम काज के दुश्मन ही दिखते
तुम लिखते मर जाओगे
कामयाबी कभी न पाओगे
सुनो एकदिन fb पर लगा दी जूती
18 सौ लाईकरों की बज गयी तूती
आगे सुन ढीला होगा तेरा पैंट।। ना कोई - - - - - -
मै fb पर टांग दी फटी दस्ती
मिटा दी कितने कवियों की हस्ती
घाट पर ही डूबी सबों की कस्ती
तुलना औरतों का करने चले हो
लिखते तुम अच्छा भले हो
पन्नों पर स्वयं को उतार दो
लिख - लिख माथा अपना मार दो
हारोगे देखना हो तो देख लो अर्जेंट।। ना कोई - - - - - -
FB पर अंगुलियों का चित्र चिपका दिया
लाईकरों की झड़ी लगा दिया
पुरुषों को करिश्मा दिखा दिया
गुण रस अलंकार को खोजते
रातदिन रहते तुम सोंचते
मुझसे तुलना कभी यदि करोगे
हाथ पैर हास्पिटल में धरोगे
नारी है सम्राज्ञी पुरुष सर्वेंट।। ना कोई
हुआ मै सोचने पे मजबूर
कैसी ये दुनिया की दस्तूर
सच तो सामने ही दिखा था
हजारों कविता स्वयं ही लिखा था
वास्तव मे नहीं रहे कविता के प्रेमी
घात लगाये बैठे सभी हुए गेमी
पत्नी की बात लग गयी
तुलसी दास की बुद्धि जग गयी
अरे पढने मे ना लगता कोई पेमेंट।। ना कोई - - - - - - -
।। कविरंग उर्फ पराशर।।
सद्यः निःसृत।।
परिचय
मेरा नाम विनोद कुमार
कविता लिखता हूँ
कवि रंग उर्फ पराशर के नाम से
जन्म 15-03 - 1973
शैक्षिक योग्यता - एम ए वी एड बी टी सी टेट
व्यवसाय - अध्यापन
रुचि - कविता कहानी निबंध नाटक लेखन
ग्राम - पर्रोई
पो0-पेड़ारी बजुर्ग
जनपद - सिद्धार्थ नगर उ0प्र0 के (भारत)
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