अब्दुल कलाम
देश हित मे भूला व्याह
ना थी धन की कोई चाह।
विश्व जानता उनका नाम
सत् कोटि नमन अब्दुल कलाम।।
अग्नि से फैला चमत्कार
शत्रु पर बैठे करे प्रहार।
विश्व हुआ तब इनका फैन
मिशाइल मैन मिशाइल मैन।।
नभ कांपा और धरती कांपी
शक्ति हिंद की अरि ने भांपी।
चेत रहा अब पाकिस्तान
धरती होगी बंजर रेगिस्तान।।
सर्वोच्च पद पर थे आसीन
दिमाग चलता जैसे मशीन।
बंटता नाम पे इनके इनाम
धन्य हिंद के सपूत कलाम।।
स्वरचित ।। कविरंग।।
पर्रोई - सिद्धार्थ नगर( उ0प्र0)
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