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आजादी...

  • ।। आजादी।।


शहीदों  के  तन  पर  गोली  चली  है।
तब   जाके   हमे    आजादी  मिली है।।

था सब  कुछ  पराया न था कुछ अपना
अपना  ही  सामान  हुआ  सब   सपना।
कर  सकते  नहीं  स्वतंत्रता  की कल्पना
विदेशी  बस्त्रों  की  यहाँ   होली  जली है।। शहीदों - -

बहू    बेटियों    ने   सुहाग   दफनाया
हिंदू  मुस्लिम   सिक्ख  न थे   पराया।
एकता   के   बल   पे   शत्रु को हराया
तब   जाके   भयंकर बला ये    टली  है।। शहीदों - - -

किसानों  को   मजबूर   करते   फिरंगी
तीन  चौथाई जनता टहलती थी    नंगी।
चाल  थी   अंग्रेजो की बड़ी    ही  बेढंगी 
अखण्डता पे अरि की दाल ना  गली है।।शहीदों - - - - -

लाल - बाल  - पाल   नारा  ये   सिखाये
बड़ी मुश्किलों से कौमी एकता को लाये।
आंखों मे   नव  भारत  का सपना सजाये
इन   सपूतों   को  देख  मची  खलबली है।। शहीदों - - -

स्वतंत्रता  दिवस पे  शहीदों को याद करते
आज   उनके   चरणों में  शीश हम   धरते।
उन्ही  पे  आजादी  का   दम्भ हम    भरते
वीरों  पर श्रद्धा   जन-जन   मे   पली    है।। शहीदों - -

शहीदों ने पैगाम देशवासियों को  दिये  हैं
देश   है  प्रमुख   ये  तन  देश के लिए  है।
भुलाना  न   उपकार  जो  उन्होंने किये हैं
आज  सम्मान मे लहराती  तिरंगा भली है।। शहीदों - - - -

स्वरचित मौलिक         ।। कविरंग।।
                 पर्रोई - सिद्धार्थ नगर( उ0प्र0)

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