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कुछ दोहे... Dohe

                        कुछ दोहे
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सर्व समर्पण कर दिया, किया देश हित काज।
दुर्गम  राष्ट्र  सपूत  पर, सबको कितना  नाज।
 
हिन्दू मुस्लिम सम सखे, इनके  उच्च  विचार।
मस्जिद मन्दिर फर्क नहि,  दोनों  में  सरकार।

धन्य सपूत कलाम को,  जो  जन्मी  है  मात।
ऐसे   मात  पिता  को, करूं नमन  दिन  रात। 

मिसाइल बनाकर  हमें, दिया अग्नि का बाण।
मत करना  अवकाश जब,  छूटे   मेरे    प्राण।

इतने  महान  सपूत  को, नमन  है  बारम्बार।
जिसने  भारत को  दिया,  मजबूती   आधा।
            जय हिन्द ! जय भारत! 
                 ○वन्दे मातरम्○
               ।।शत् शत् नमन।।

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