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आद0 नागेन्द्र नाथ गुप्ता जी की रचना

विधा - मनहरण छंद

विषय - संघर्ष


जीवन के सघर्ष को
जो समझे वो महान
चीटी जाने पर कोई
न सीख पाए कभी।।

उलझन आती यहाँ
ले  कर एक तनाव
सुलझे  सब वक्त पे
आगे न आए कभी।।

औरत हो या आदमी
सघर्ष  रहेगा   साथ
डर सारा निकालिए
खुशी न जाए कभी।।

हंस के जीना है हमें
कौन  करे  इनकार
रोने से नहीं फायदा
दुख न गाए कभी।।

- नागेंद्र नाथ गुप्ता, मुंबई

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