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ग़ज़ल

इस मुल्क के दो टुकड़े करा कर गये अंग्रेज़,
 हिंदू और मुसलमा को लारा कर गये अंग्रेज।


वे जाति जाति थोप गए नीतियां अपनी,
 फैलाओ भेदभाव सिखा कर गये अंग्रेज।


बदकिस्मती हमारी जो अपनायी उनकी राह,
 आपस में दिली दूरी बढाकर गये अंग्रेजी।


अब फट और बैर का फल सबको भा रहा,
 सच है कि स्वाद हमको चखा कर गये अंग्रेज।


कश्मीर की बीमारी है देन उन्हीं की,
है लाइलाज़ इसमें फंसाकर गये अंग्रेज।


आजादी हमने पाई चुकाई बड़ी कीमत ,
अपनी मसाल हमको थमा कर गये अंग्रेज।


झांसे में उनके आ गए थे अपने रहनुमा ,
चुन पाये नहीं डगर घुमाकर गये अंग्रेज।


शाहरुख सारी दुनियां ही आगे निकल गयी,
 हम बढ़ न पाये कांटे बिछा कर गए अंग्रेज।

शाहरुख मोईन
अररिया बिहार
9534848402

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