कहानी- नयी जिंदगी
सोनल और माही दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे। घर वाले भी उनकी रिश्ते से परेशान नहीं थे, बस चाहते थे कि शादी के रस्मो-रिवाज से, अच्छे से हो जाए क्योंकि दोनों अलग-अलग मत के लोग थे। शादी तय हुई लेकिन दुर्घटनाएं कभी पूंछकर नहीं आती, हुआ भी यही कि शादी तय होने के कुछ दिन बाद एक 25 साल के लड़के के द्वारा माही का शोषण हुआ।
वह शादी की शॉपिंग कर कर लौट रही थी, तब किसी लड़के ने उसके साथ बदतमीजी की, जिस पर माही ने उसे एक थप्पड़ मार दिया। 2 दिन तक उस लड़के ने माही का पीछा किया फिर मौका मिलते ही उसने अपनी हवस का शिकार माही को बना लिया।
जब यह घटना हुई तब माही अकेली थी, समझदार थी, चाहती तो यह बात सभी से छुपा सकती थी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। उसने सबसे पहले सोनल को बताया, फिर जाकर दोनों ने पुलिस ने एफ आई आर दर्ज की।
जब घरवालों को यह बात पता चली, तब वह माही पर बहुत गुस्साए कि पुलिस में शिकायत दर्ज करने की क्या जरूरत थी। इससे जिन लोगों को नहीं पता है, उन्हें भी पता चल जाएगा। सोनल को बताने की क्या जरूरत थी, तुम्हारी शादी होने वाली है 2 महीनों में और तुम्हें अपनी इज्जत की कोई परवाह नहीं तो कम से कम हमारी इज्जत की तो परवाह करती। लेकिन माही पर क्या बीत रही थी, किसी ने समझने की कोशिश नहीं की।
शिकायत दर्ज हो चुकी थी, पैसे, जान पहचान और रुतबे की वजह से जल्द से जल्द कार्रवाई हुई और महीने भर में ही उस लड़के को जेल हो गई और सारी जगह बलात्कार की खबर भी फैल गई।
सोनल के घर वालों को अब यह रिश्ता मंजूर नहीं था। उनकी नजर में माही एक ऐसी लड़की हो गई थी जिसका किसी दूसरे व्यक्ति ने उपयोग किया। वह चरित्रहीन बन गई थी। घरवाले जब शादी के लिए मना कर दिए तब माही ने सोनल से कहा- "इसमें मेरी क्या गलती थी? शादी नहीं करना है मत करो, मैं भी नहीं चाहती कि जिंदगी भर सबकी सुनो। तुम किसी और लड़की से शादी कर लो और एक चरित्रवान स्त्री को अपनी पत्नी बनालो, मेरी जिंदगी अब इसी तरह ताने सुन कर गुजरने वाली है।
सोनल चुप रहा और वहां से चला गया। माही के घरवाले मौन थे, वह अपनी बेटी के साथ हुए अत्याचार का बदला तो लेना चाहते थे लेकिन वह यह भी जानते थे कि आप माही को कोई नहीं अपना आएगा, वह जिंदगीभर यूं ही अकेले रहेगी इसलिए उन्होंने फैसला किया कि माही को दूसरे शहर भेज कर आगे की पढ़ाई करवाई जाए और फिर वह एक अच्छी नौकरी करें ताकि अपने हिसाब से अपनी जिंदगी जी सके। कुछ दिनों में सब कुछ तय हो गया, बलात्कारी को जेल हुई। सिर्फ जेल क्योंकि हमारे यहां फांसी की सजा होने से पहले ही व्यक्ति अपनी मौत पहले मर जाता है।
माही ने शहर छोड़ कर जाने से पहले सोनल को आखरी बार फोन किया और कहा- सोनल तुम आजाद हो मुझसे और मेरे परिवार से। अब तुम्हारा मुझसे कोई मतलब नहीं, तुम अपनी आगे की जिंदगी अच्छे से बिता सकते हैं हो अपना ध्यान रखना। मैं बहुत दूर जा रही हूं तुम लोगों से।
सोनल ने हिम्मत करके माही से पूँछा कि तुम कब निकल रही है हो और कहां जा रही हो ? तुम कहीं मत जाओ मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा।
माही हंसने लगी, बोली सोनल- "मेरा बलात्कार हुआ है"।
सोनल ने कहा - तुम्हारी मर्जी से तो नहीं हुआ, तुम मेरी नजर में आज भी एक चरित्रवान लड़की हो, जो लोग तुम्हें चरित्रहीन समझ रहे हैं वह इसका मतलब भी नहीं जानते। मैं तुमसे मिलना चाहता हूं और तुम मुझे अभी मिलो, मैं तुम्हारे घर आ रहा हूं। इतना कहकर सोनल ने फोन रख दिया और तुरंत ही माही के घर के लिए निकलने लगा।
सोनल के घर वालों को जब पता चला कि वह माही से मिलने के लिए जा रहा है तो उन्होंने उसे रोकने की बहुत कोशिश की। उसे समझाया कि समाज तरह-तरह की बातें करेगा, तुम माही से अपने सारे रिश्ते तोड़ दो।
सोनल ने कहा- ऐसे कैसे आप कह सकते हैं कि माही से अपने रिश्ते तोड़ दो। मुझे पता है कि उसका बलात्कार हुआ, उसने सबसे पहले मुझे ही आकर बताया वह चरित्रहीन नहीं है बल्कि किसी और ने उसके चरित्र को दाग लगाया है इसमें उसकी क्या गलती है?
इस सवाल का जवाब किसी भी घरवाले के पास नहीं था लेकिन वह सोनल को जाने नहीं देना चाहते थे क्योंकि इससे उनके परिवार की बेइज्जती होती। लोग बातें करते की बलात्कारी लड़की को तुम लोगों ने अपने घर की बहू बना लिया।
सोनल ने फिर कहा - मेरी नजर में माही की कोई गलती नहीं है, वह चरित्रवान है। उसकी आबरू लूटी गई है, ना कि उसने अपनी मर्जी से लूट जाएगी। इसलिए मैं शादी उसी से ही करूंगा, शादी की डेट फिक्स हो चुकी है, सारा इंतजाम हो चुका है, जो आप ही लोगों ने किया था और अब आप मना कर रहे हैं। ठीक है आप शामिल नहीं होना चाहते, मत होइए लेकिन शादी उसी तारीख को उसी समय माही से ही होगी, वह शहर छोड़ कर जा रही है और मैं उसे रोकने जा रहा हूं, अगर आप आना चाहते हैं तो आ जाइएगा।
सोनल के घर के सारे पुरुष बहुत चिल्लाये, उन्हें अपने बेटे की मर्दानगी पर भी शक होने लगा लेकिन उन्होंने यह नहीं सोचा कि जिस बेते को वह भला बुरा कह रहे हैं, वह उन्हीं की औलाद है। कल को यदि उनका बेटा किसी लड़की के साथ इस तरह हरकत करता तब वह क्या करते? चीखना- चिल्लाना चलता रहा और सोनल, माही को रोकने के लिए निकल गया।
सोनल की दादी ने सोनल के पिता से कहा कि - तुम्हें खुश होना चाहिए तुम्हारा बेटा समाज में एक परिवर्तन लाने की कोशिश कर रहा है। वह अपने लिए नहीं बल्कि माही के लिए माही को अपनाना चाहता है। ताकि वह अच्छे से एक खुशहाल जिंदगी बिता सके वरना लोगों को ताने मार- मार कर उसको मार डालना है और इसमें माही की कोई गलती नहीं है, सिर्फ उसने उस लड़के की बदतमीजी का जवाब दिया और वह उसके हवस का शिकार बन गई। अगर सोनल कभी इस तरह की हरकतें करता तो क्या तुम उसे घर में रहने देते? अगर वह अपनी बीवी से जबरन में संबंध बनाएगा तब भी वह बलात्कार ही कहलायेगा।
सोनल के पिता ने कहा कि- अम्मा यह समाज हम पर तुम पर थूकेगा। हमें चैन से रहने नहीं देगा। माही को तानों से बचाने के लिए क्या हम जिंदगी भर ताने सहते रहे?
दादी ने कहा - नहीं। लोग दो-चार दिन बात करेंगे, पीठ पीछे बोलेंगे लेकिन जब उनकी समझ में आएगा तब वह तुम्हारे जैसे बनने की कोशिश करेंगे कि तुमने एक लड़की की जिंदगी बना दी, वरना समाज में कौन बलात्कार का शिकार हुई लड़कियों को अपनाता है?
मौन छा गया। दिमाग के तंतुओ के बीच उथल-पुथल मच गई, कि क्या किया जाए? बेटे के बिना घर खाली हो जाएगा और शादी के बिना वह मानेगा नहीं। अगर उसने घर छोड़कर माही से शादी की, तब भी लोग ताने मारेंगे कि बेटे को घर से निकाल दिया। अगर उसको साथ में रखते हैं तो लोगों को तो वैसे भी ताने मारने ही हैं कि बलात्कारी लड़की को बहू बनाया। लेकिन इसमें माही की कोई गलती नहीं है, इसलिए अब जो होगा देखा जाएगा।
शादी जब तय हुई थी, तभी वह बहुत अच्छी लगती थी क्योंकि सबकी नजर में वह चरित्र वाली थी लेकिन आज उसके चरित्र पर दाग लग गया और वह चरित्रहीन हो गई। जबकि इसमें उसकी गलती नहीं इसलिए माही, सोनल की शादी करवा देते हैं फिर देखते हैं क्या होता है?
दूसरी तरफ, सोनल भी माही के घर पहुंचा। तब उसे पता चला 2 दिन बाद, माही बिलासपुर के लिए निकल रही है क्योंकि यह एक ऐसा शहर है जहां उनके कोई रिश्तेदार नहीं है, ना कोई जान पहचान वाला है। इसलिए माही एक नई जिंदगी शुरू कर सकती है। सोनाल ने माही के पिता से बात की और कहा कि-
"आप शादी की तैयारियां करिए, जिस तारीख पर शादी होनी थी, उसी पर होगी। आप चिंता मत करिए, मैं शादी के लिए मना नहीं करूंगा।"
माही के पिता परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहे थे। उन्होंने सोनल से कहा- तुम बहुत अच्छे लड़के हो लेकिन मैं तुम्हारे पिता की इज्जत करता हूं, मैं नहीं चाहूंगा कि तुम माही से शादीकर समाज में उनकी और अपनी छवि को धूमिल करो। माही भी अपने पिता की सोच पर अवाक थी, कि उसके पिता की यह सोच है।
सोनल ने कहा- आपकी ऐसी सोच होगी, मैंने सोचा नहीं था। मुझे लगा मेरे परिवार के लोग हैं, इस तरह की सोच के। लेकिन आप तो माही के पिता हैं, तब भी आपकी ऐसी सोच है। आपको खुश होना चाहिए कि मेरी बेटी की शादी होने जा रही है, उसे एक नया नाम मिलने वाला है, नयी जिंदगी मिलने वाली है लेकिन आप लोग छोटी सोच के दायरे में ही जियेंगे और मरेंगे। आप शादी की तैयारियां करिए, बारात उसी दिन आएगी जिस दिन तय हुआ था और माही कहीं नहीं जा रही है और वहां से सोनल चला आया।
सोनल के पिता पंचायत की सदस्य थे इसलिए उन्होंने सबसे पहले पंचायत को बुलाया और सारी बात बताई। पंचायत के लोग तैयार नहीं हुए लेकिन वह भी अपनी बात पर अडिग रहें और पंचायत के सदस्य का पद छोड़ दिया क्योंकि उनसे बोला गया यदि तुम माही को अपने घर की बहू बनाओगे तो फिर पंचायत के सदस्य नहीं रह सकते, वह भी तैयार हो गए बेटे की खुशी के लिए यह बहुत छोटी सी कुर्बानी थी।
सब लोगों को पता चला तो तरह-तरह की बातें उठी लेकिन उनमें से कुछ लोग ऐसे भी जो सोनल की बात से सहमत थे। अखबारों में, पत्रिकाओं में और बेटियों की रक्षा में जुटी संस्थाओं में, सोनल की बहुत तारीफ हुई। हफ्ते भर तक समाचार पत्रों में यही छपा कि, सोनल की तरह समाज के पुरुषों की सोच होनी चाहिए ताकि बलात्कार का शिकार हुई लड़कियां आगे बढ़ सके अपना घर बसा सकें और नया जीवन शुरू कर सकें।
लेखिका- जयति जैन "नूतन", भोपाल।
पता- जयति मोहित जैन , 441, सेक्टर 3 , शक्तिनगर भोपाल , BHEL. पंचवटी मार्केट के पास !
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