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मेरी प्यारी कविता Meri Pyari kavita


मेरी प्यारी कविता

मृगनयनी से नयना कजरारे,
तेरी मद भरी आँखो की चितवन।
तेरे पायल की रूनक झुनक,
अब मोह रही है मेरामन।
तेरे अधरों की हल्की लाली,
चिटकी गुलाब की कलियों सी।
तेरी जुल्फों का रंग देख,
भ्रम होता काली  रातों की।
तेरा मरमरी बदन  छूकर,
मदमस्त हवायें होती हैं।
जिस राह गुजरती हो तुम अब,
वे राह दुआयें देतीं हैं।
तुमजिस महफिल से गुजरती हो,
सबको दीवाना करती हो।
तुम मेरी प्यारी कविता हो,
बस प्यार मुझी से करती हो।। 1।।

तुम कल्पना मेरे मन की हो,
एहसास मेरे जीवन की हो।
मेरे गीतों का संगीत भीहो,
मेरामनमीत भी हो।
तुम मेरी अभिलाषा हो,
मेरे जीवन कीपरिभाषा हो।
मेरे सपनों की शहजादी हो,
मेरी कल्पना से सुन्दर हो।
तुमको कोई देख सके ना,
तुम मेरी स्मृतियों के अन्दर हो।
तुमको मैंने इतना चाहा,
 मजनूंफरहाद से भी बढ़ कर।
तुम मेरी जुबां से बोल रही,
मेरे दिल की चाहत बन कर।। 2।।

चाहे जब भी तुमको याद किया,
तुम पास मेरे आ जाती हो।
मेरे सूने निराश मन को, 
जीवन संदेश  सुनाती हो।
मैं राह तुम्हारी तकता हूंँ,
अखियों के झरोखों को खोले।
तुम दिल में मेरे समाती हो,
शब्दों के संग हौले हौले।
जब याद तुम्हारी करताहूं,
कल्पनालोक में खोता हूँ।
शब्दों भावों के गहनों से,
मैं तेरा बदन पिरोता हूँ।
तुम जबजब आती हो ख्यालों में,
तब तब मन में मचलती हो।
शब्दों का प्यारा रूप पकड़,
लेखनी से मेरी निकलती हो।
मैं शरीर तुम आत्मा हो,
मेरे ख्यालों का दर्पण हो,।
मैंने तो संकल्प लिया,
ये जीवन ही तुमको अर्पण हो।
चलो  आज बतायें दुनियाँ को,
तुम मेरी प्यारी कविता  हो, 
या प्यारी प्यारी कविता हो
 या प्यारी प्यारी कविता हो।

रचनाकार
सूबेदार पाण्डेय कवि आत्मा नंद
ग्राम जम सार
पोस्ट--सिन्धोरा--जि0वाराणसी
उ०प्र०पिन---221208
मौबाईल---7387407266
दिनांक --29--8 --2019
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