बेटी के दहेज पर कविता
एक पिता के दर्द को तुम क्या जानो ,टूटे उस के दिल की मर्ज तुम क्या जानो।
गुजरेगा कभी ना कभी फिर वो मेरे दिल से,
नाम तुम्हारा ही है दर्ज तुम क्या जानो।
बेटी भी दे दी उस गरीब ने दहेज के साथ में,
होता क्यो गरीब पर कर्ज तुम क्या जानो।
खेल खेलते है कुछ मतलबी लोग जिस्मो का,
एक लड़की की इज्जत क्या होती तुम क्या जानो।
हंसते हंसते ना जाने कितने जान गवा बैठे,
हाढ़ा टेक की बीमारी में लाखो जान गवां बैठे
वतन का क्या होता फ़र्ज़ तुम क्या जानो।
दवा मिली ना "Op Merotha" कहीं टूटे दिल की,
टूटे दिल का दर्द तुम क्या जानो
उस पिता की दर्द भरी कहानी को तुम क्या जानो
मर - कर भी तरहस रही है वो आत्मा
तुम खुद को भी पहचान सखे नहीं तो
उस पिता की आत्मा को क्या जानो
इंसानियत का फ़र्ज़ निभाना तुम क्या जानो
कभी मलहम नहीं की है तो
तुम दवा लगाना क्या जानो
Op Merotha Hadoti kavi
छबड़ा जिला बारां (राज०)
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