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कोरोना के वन्दनीय योद्धा - पुलिस प्रशासन को सलाम Corona ke vandan it yodha police ko salam

*बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ अभियान*


*कोरोना के वन्दनीय योद्धा - पुलिस प्रशासन को सलाम*


*लेकिन आज गर्व के साथ कहना होगा कि हमारी पुलिस हमारे सुख की नहीं अपितु दुःख की भी साथी है*

*लक्ष्मणगढ़ थानाधिकारी महोदय राममनोहर व उनकी टीम का बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ अभियान व अभियान की समस्त टीम हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन करता है।*

*विपत्ति की इस घड़ी में पुलिस का जो चेहरा समाज के सामने आ रहा है उसे देखकर सभी के मन में अपने इन योद्धाओं के प्रति स्नेह और श्रद्धा के भाव सहज ही उत्पन्न हो रहे हैं*

*एक पिता,पति और बेटे का फ़र्ज़ भूलकर ये तो चले हैं देश को बचाने।*


*लक्ष्मणगढ़ - (सीकर) - 12 - अप्रेल - 2020* *(अनंत न्यूज राजस्थान की विशेष स्पेशल रिपोर्ट*

           कोरोना का बढ़ता प्रकोप निरन्तर बढ़ते हुए देश में एक दहशत फैलाने को तैयार है। सरकार अपनी तरफ से प्रयास रत है देश को संक्रमण से बचाने के लिये। देश के प्रत्येक नागरिक को सरकार का सहयोग करना चाहिए तभी इस महामारी की चैन को तोड़ना सम्भव हो सकेगा।
   बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ अभियान आज अपने देश के उन समस्त योद्धाओं की भूमिका पर चन्द शब्द लिखकर सबसे सहयोग की मांग करने की
अपील करता है। हमेशा से पुलिस प्रशासन अपने दुर्व्यवहार, निरंकुशता,बेईमानी,क्रूरता और ऐसी ही अनेक बुराइयों के साथ जन मन में रचा बसा था। पुलिस को देखकर लोग सहम जाते थे,सोचते थे पता नहीं अब कौन सी विपदा आने वाली है,क्या होगा,कहीं किसी झूठे केस में पुलिस हमको फँसा न दे,लेकिन आज गर्व के साथ कहना होगा कि हमारी पुलिस हमारे सुख की नहीं अपितु दुःख की भी साथी है।
‌         विपत्ति की इस घड़ी में पुलिस का जो चेहरा समाज के सामने आ रहा है उसे देखकर *सभी के मन में अपने इन योद्धाओं के प्रति स्नेह और श्रद्धा के भाव सहज ही उत्पन्न हो रहे हैं। पुलिस प्रशासन दिन रात अपना कर्तव्य निभाने में लगा हुआ है लेकिन दुःख का विषय यह है कि लोग अपना सहयोग देने में गम्भीर नहीं हैं। पुलिस के समझाने पर उलझने को तैयार हो जाते हैं।* यहाँ तक कि ईंट पत्थर तक उठाने से नहीं हिचकते। अभी भी लोगों को समझ नहीं आ रहा कि घर की लक्ष्मण रेखा लाँघना जानबूझकर विपत्ति को बुलाना है। *अफसोस होता है ऐसे लोगों को देखकर, आखिर कब समझ में आएगा इनको कि ये घर में सुकून से रह सकें, सुरक्षित रह सकें, इसके लिए ये पुलिस वाले बिना थके,घूम -घूम कर व्यवस्था बनाने में लगे रहते हैं। ये भी किसी के बेटे,भाई,पिता औऱ पति हैं। ये बीमारी सभी के लिए घातक है,लेकिन इनको अपनी नहीं आपकी चिन्ता है,अपने नहीं आपके बच्चों की चिन्ता है।* एक पिता,पति और बेटे का फ़र्ज़ भूलकर ये तो चले हैं देश को बचाने।
‌       *लोगों का गुस्सा भी सहन करते हैं फिर भी डंडे नहीं बरसाते,एक फोन पर मदद के लिए भाग कर आते हैं,लोगों के लिये भोजन पहुंचाने की व्यवस्था में संलग्न हैं। मसीहा बनकर खड़े हैं सीना ताने।*
‌          आज पुलिस का यह स्वरूप देखकर मन सोचने पर विवश हो गया कि इस परिवर्तन का कारण क्या हो सकता है? जहां तक मुझे समझ आता है कि पुलिस प्रशासन का सामना जन साधारण से होता ही कहाँ है।उनको तो हर समय अपराधियों के बीच ही रहना पड़ता है,जहां बिना बलप्रयोग के काम कहाँ चलता है। यदि सहानुभूति और प्यार दिखाना शुरू किया तो कैसे व्यवस्था बैठ पायेगी।
‌                  आइये ,अपनी जिम्मेदारी समझिए,पुलिस प्रशासन को मजबूर मत करिए कठोर बनने के लिए। उनके कार्य की सराहना करके उनका मनोबल बढ़ाने का प्रयास करिये। बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ अभियान सराहनीय कार्य के लिए लक्ष्मणगढ़ थानाधिकारी महोदय राम मनोहर व उनकी समस्त टीम का तहेदिल से हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन करता है। धन्य है वो मां जो देश समाज सेवा व अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाने के लिए ऐसे लाल को जन्म देती है। डॉक्टर कवयित्री निरुपमा उपाध्याय व अभियान के आयोजनकर्ता कवि लेखक हरिश शर्मा ने सभी का आभार व साधुवाद प्रकट करते हुए कहा कि जहां - जहां आपको हमारी जरूरत पड़ेगी हम आपकी सेवा में निस्वार्थ भाव से सलंग्न रहेंगे। आप सभी ने इस महामारी से देश को बचाने का जो संकल्प लिया है उस संकल्प को पूरा करने में बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ अभियान व अभियान के सदस्य आपके कदम से कदम मिलाकर साथ चलते आयेंगे। आप इसी तरह जागरूक होकर कार्य करते रहेंगे यही कामना बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ अभियान व अभियान की समस्त टीम यह कामना करती है।

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