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कोरोना जागरूकता corona ke yoddha doctor or police

कोरोना जागरूकता 


हमारे देश में भावनाएं बहुत जल्दी जन्म लेती हैं ,फिर चाहे समय संकट का हो या हर्षोल्लास का, परिस्थिति के अनुसार भावनाएं पनपने लगती हैं , यह राष्ट्र शांतिप्रिय राष्ट्र रहा है इसलिए भावना का स्थान सर्वोपरि है किंतु अगर इसकी अति हो जाये तो इसी राष्ट्र के लिए घातक होती हैं, ठीक उसी प्रकार अव्यवस्था जन्म लेती है जिस प्रकार वायु और जल की अधिकता से।

यह नीचे जो तस्वीर दर्शायी गई है बहुत ही विचारणीय है इस संकटकाल में हमे यह तस्वीर अच्छी तो लग रही है, लेकिन भविष्य में इससे भ्रांतियां फैलेंगी यह कहें तो अतिसंयोक्ति नही होगी। इस तस्वीर को जितनी भी महिला डॉक्टरों ने देखा होगा उन्हें खूब रोना आया होगा क्योंकि आज फिर पुराना इतिहास दोहराया जा रहा है अपमानित किया जा रहा है आज फिर महिलाओं की योग्यता जा मजाक बनाया जा रहा है, उसके हांथों से असली शस्त्र इंजेक्शन छुड़ाकर(यही चीर हरण है) त्रिशूल थमाया जा रहा है यह तस्वीर उन तमाम महिला डॉक्टरों का अपमान है जो इस वैश्विक महामारी से निजात पाने के लिए दिन रात मरीजों की सेवा में लगी हुई हैं  ,
सभी को पता है कि इस कोरोना से निजात किसी दवा से ही होगी फिर चाहे वह तरल हो या ठोस किसी त्रिशूल से नही।

इस तस्वीर में महिला डॉक्टर को एक देवी के रूप में बना दिए गया जिसके मस्तक में हल्दी का लेप है , बाल खुले हुए हैं, चार हाँथ हैं  एक हाँथ में दवा की बॉटल, दूसरे में मास्क तथा तीसरे और चौथे में त्रिशूल थमा दिया गया और इंजेक्शन को उसके हांथों से छुड़ाकर उसके जेब में डाल दिया गया , हांथों में चूड़ियां पहना दी गई।

दरअसल बात ये है कि किसी महिला डॉक्टर की ये वेशभूषा ही नही है जिसको प्रचारित किया जा रहा  है इसी तरह से भविष्य में अन्धविश्वास पनपता है ,
किसी  भी शहर  के किसी नर्सिग कॉलेज में किसी भी सेमेस्टर की यह वेशभूषा नही है त्रिशूल तो छोड़िए माथे  पर टीका ,हाँथ में चूड़ी पहनना मना है और तो और बालों को खुला नही छोड़ सकते यदि आप हॉस्पिटल में हैं तो, यदि कान नाक में कुछ पहनी हैं तो उन्हें मास्क लगाना अतिआवश्यक है , ऑपरेशन थियेटर में जाना है तो पूरे शरीर को कवर करना होता है चाहे जितना बड़ा/बड़ी डॉक्टर हो या नर्स/वार्ड ब्वाय।

जगरूकता की बात ये है कि "अतीत में इसी तरह की तस्वीरें ही परमपिता ब्रम्हा के चार मुख, रावण के दस सिर , शेषनाग के सात फन , माँ दुर्गा के आठ हाँथ आदि को जन्म दिया।"

आने वाले समय में यदि अन्धविश्वास का कहर मंडराता रहा तो आने वाली पीढियां यह कहने से बिलकुल नही हिचकिचायेंगी की प्राचीन काल में एक कोरोना नामक बीमारी आई जिसके चपेठ में पूरा विश्व आ गया और काफी जन का नुकसान हुआ लेकिन हमारे भारत में जब यह बीमारी आई तो (इसी तस्वीर को दिखाकर कहेंगे की ) एक डॉक्टर माँ ने जन्म लिया जिनके चार हाँथ थे और वो बिना किसी दवाई का प्रयोग किये त्रिशूल से कोरोना को परास्त कर दिया ।और चरणों में फूल चढ़ा देंगे , सम्भव भी हो की मंदिर भी बना दें, और दूर कहीं एक व्यक्ति चिल्ला चिल्लाकर बताएगा कि ऐसा नही हुआ था तब उसे उलाहना दी जायेगी प्रताड़ित किया जायेगा समाज से निष्कासित किया जायेगा वो व्यक्ति मर जायेगा ,और लोग उसी डॉक्टर माँ के मंदिर में जाकर श्रद्धा से सिर झुकायेंगे दान दक्षिणा , भंडारे , व्रत वगैरह वगैरह।

यह पुरुष प्रधान देश हमेशा ही महिलाओं की असल शक्ति को उनकी ही जेब में डालता आ रहा है जिसके सबसे ज्यादा जिम्मेदार हमेशा से साहित्यकार /कलमकार ही रहे हैं और आज भी हैं।
इस तस्वीर तथा इस प्रकार की सभी तस्वीरें बनाने वालों की मैं कड़ी निंदा करता हूँ।

मेरी मंशा किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना नही है बल्कि मेरा आप सबसे निवेदन है कि इस प्रकार की कल्पनाओं को जन्म न दें जिससे समाज तथा भावी पीढ़ी दिग्भ्रमित हो  और महिलाओं का अपमान हो साथ ही शासन तथा प्रशासन से निवेदन है कि इस तरह की भ्रामक तस्वीरें बनाने वालों के खिलाफ उचित दंडात्मक कार्यवाही करें ।
घर में रहें , स्वस्थ रहें , जागरूक रहें
धन्यवाद

चंद्रपाल कुशवाहा सीपी
रीवां संभाग

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