पापा, तुम फिर से लौट आओ ना
माना निभानी है दुनिया की रस्में ..
तुम उनको तोड़ आओ ना ।
मां का मुश्किलों में फिर से हाथ बटाओ ना
साथ नहीं हो सकते, फिर भी साथ निभाओ ना
अपने मजबूत कंधों पे मुझे फिर से झुलाओं ना
हाथ थाम कर मुझे दुनिया से लड़ना सिखलाओ ना
नादान बिटिया को दुनिया जीने की राह दिखलाओ ना
एक बार फिर से लोरी गाकर सुलाओ ना
जब आंख खुले तो मुझमें फिर से मुस्कुराओ ना
पापा , तुम फिर से लौट आओ ना
अक्षिता जैन "अनेश"
सवाईमाधोपुर, राजस्थान
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