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भक्त हूं वीर हनुमान का bhakt hu vir hanuman ka

भक्त हूं वीर हनुमान का


भूख है ज्ञान का ,
परवाह है न जान का ।
राह रोशन है , चिंता है ना मान और सम्मान का ,
हमेशा खुश रहता हूं , क्योंकि मैं भक्त हूं वीर हनुमान का ।।

नशा है न कनक , धतूरा, पान का ,
भूखा हूं मंगल गान का ।
कैसे वर्णन करूं भगवान का ,
बड़ी सुख-सुविधा मिलती , सिर्फ जपता हूं 
राम भक्त नाम हनुमान का ।।

सहायक हूं जवान का ,
दर्द जानता हूं मजदूर किसान का ।
हवा में रहता हूं, पर डर रखता हूं तूफान का ,
समंदर की तरह अपने आप में बहता हूं 
क्योंकि मैं सेवक हूं वीर पुत्र हनुमान का ।।

इंतजार रखता हूं न संतान का ,
पत्नी तक स्वार्थी होती , धन - दौलत क्या करूंगा
आवश्यकता है मुझे दो मुट्ठी धान का ,
और नश्वरता की प्राण का ,
जब तक मैं जिंदा रहूं , तब तक जपते रहूं नाम
वीर हनुमान का ।।

* ® रोशन कुमार झा 
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत

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