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सियालदह जयनगर की यात्रा siyaladah jaynagar ki yatra

सियालदह जयनगर की यात्रा

सियालदह जयनगर गंगासागर की यात्रा ,
मिथिला घूमने के लिए नहीं देखनी पड़ती है पतरा ।

सियालदह में 13185 गंगासागर एक्सप्रेस पर बैठी ,
विधाननगर, दमदम, होते हुए आ गये नैहाटी  ।

नैहाटी में देखें एक छोटा सा गैस सिलेंडर ,
आ गये गरीफा होते हुए हुगली, गंगा नदी पार बैण्डेल ।

बैण्डेल में हुई खान पान ,
आ गये हावड़ा मेन लाइन होते हुए बर्द्धमान ।

बर्द्धमान के लोकल ट्रेन से होते गये दूर ,
न जाने कैसे एक ही बार में पहुंच गए दुर्गापुर ।

दुर्गापुर में हम रोशन पूछे समोसा का मोल ,
खाते - खाते रानीगंज होते हुए आ गये आसनसोल ।

गांव जाने की उल्लास से होंठों पर मुस्कान ली ,
उसके बाद आ गई जे.सी.डी ‌।

जे.सी.डी में खरीदें बाबा बैद्यनाथ धाम के लिए फूल ,
इस तरह आ गये मधुपुर ‌।

मधुपुर में हमको बोला गया राजा ,
इस तरह हम झा आ गये झाझा ‌।

झाझा किऊल में लगी हमारी कविता की परीक्षा होनी ,
सिमरिया घाट, राजेन्द्र पुल कवि दिनकर जी के गांव
होते हुए हम आ गये बरौनी ।

बरौनी से घर रहा न दूर ,
आ गये समस्तीपुर ।

समस्तीपुर में झाड़े पेन्ट और अंगा ,
आ गये अपना मिथिला के दरभंगा ।

दरभंगा में देखें पेड़ पौधा और बकरी ,
आ गये सकरी ।

सकरी में मुलाक़ात हुआ वह आदमी रहा धनी ,
विश्व में मशहूर है अपना पेंटिंग ,आ गये पण्डौल
होते हुए हम मधुबनी ।

मधुबनी से भी जा सकते रहे अपना घर ,
लेकिन चल गये हम राजनगर ।

राजनगर में हम पीये न शराब , पीये जल ,
आ गये खजौली होते हुए हम सियालदह से जयनगर ।

मधुबनी में गये मुंह हाथ धोने गंगासागर घाट पर ,
बस पकड़े कुछ ही देर में उतार दिया हमको लोहा हाट पर ।

लोहा में रिक्शावाला को बोले चलो जी ,
पहुंचा दिया हम को अपना गांव झोंझी ।।

 रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता भारत

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