'कोरोना का कहर"
चीन देश से आया कोरॉना, पूरे विश्व में छाया।
प्रकृति ने मानव पर विजय का अपना परचम लहराया ।।
समझ बैठा था मानव अपने को सृष्टि का भाग्य विधाता।
कुदरत का इशारा समझ ना पाया, हर जीव जंतु को खाता।।
फैला रखी थी चहुं ओर हिंसा, निर्दोष के प्राण हरता।
आखिर कब तक भगवान भी, उसके पापों को माफ करता।।
लाचार हो गया अमरीका, चीन ने भी घुटने टेके ।
अरब, ईरान,स्पेन और संपूर्ण विश्व को लिया लपेट।।
कोरोना ने सब सुख छीना, लॉकडाउन करवाया।
WHO ने भी इसको , सर्वसम्मति से अपनाया।।
स्वच्छन्द घूमते है सब प्राणी, मानव हो गया कैद।
थक बैठे सारे नर - नारी, लाचार हो गया गए वैद।।
रेल , बस और हवाई जहाज सब अड्डों पर खड़े है।
घर दुकाने बंद है सब कोरोना से जीतने पर अड़े है।।
इस लड़ाई में प्रधान मंत्री जी ने भी, अपनी पूर्ण भूमिका निभाई है।
कुछ दिन घर में बन्द रहो भाईयो यह बात हमे समझाई है।।
जीव मात्र पर रखो दया तुम शुद्ध शाकाहारी अपनाओ ।
हाथ, नाक, मुह की रखो सफाई सामाजिक दूरी अपनाओ।।
टल जायेगा यह संकट भी जल्दी, गर कुछ दिन हम संभल जाएं ।
वरना पीछे पछताएंगे कवि "चन्द्र" तुम्हे समझाए।।
रचनाकार
चन्द्रप्रकाश गर्ग
आचार्य ( शिक्षक )
जैसिंधर बाड़मेर ( राजस्थान )
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