कलम लाइव पत्रिका

ईमेल:- kalamlivepatrika@gmail.com

Sponsor

माँ पर कविता Maa par Kavita अदिती जोशी

मां

क्या लिखूं उस शख्स के बारे?
जिसने खुद मेरी शख्शियत को लिखा।
वो मां है और मां होने का मकसूद जानती है।
तुम्हे तुमसे बेहतर वो पहचानती है।
और उसके बिना तुम्हारे जीवन का क्या वजूद ???
अपनी जान पर खेलकर वो ही तो तुम्हें जीवन दान देती है।
वो मां है और मां होने का मकसूद जानती है।
खुद भुखे रहकर पेट तुम्हारा वो पालती है।
वो मां है और मां होने का मकसूद जानती है।
हजारों बुरी बलाएं भी उसकी एक दुआ के आगे हार मानती हैं।
वो मां है और मां होने का मकसूद जानती है।
और दुनिया की परवाह नहीं उसे 
वो तो बस तुम्हे अपनी दुनिया मानती है। 
वो मां है और मां होने का मकसूद जानती है।

अदिती जोशी
इंदौर (मध्य प्रदेश)

5 comments:

  1. bahut pyaaraa likha h...🔥🔥

    ReplyDelete
  2. Thank uhh Soo much for publishing my poem ❣️🙏keep supporting 🙏✍️

    ReplyDelete
  3. Thank uhh Soo much for publishing my poem ❣️🙏 keep supporting 🙏

    ReplyDelete
  4. अतिसुन्दर कविता....और बहुत बहुत बधाई...हमे आगे भी आपकी कविता का इंतज़ार रहेगा ☺️

    ReplyDelete