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आज की आंतरिक पीड़ा "क्या हम मानव है?

*बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ अभियान*

*"आज की आंतरिक पीड़ा "क्या हम मानव है?" त्राहि-त्राहि - विष्णु पुजारी*

*जिन्होंने बिना किसी वजह के बेजुबान,भूखी,गर्भवती हथिनी और अजन्मे बच्चे की जान ले ली। ऐसी हैवानियत उस देश में, जहाँ की संस्कृति में पशुओं को पूजा जाता हो।*

*बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ अभियान केरल घटना को लेकर रोष व्यक्त करता है,एवं सभी आला - अधिकारियों से दोषी को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग करता है।*

*हर जीव में परमात्मा का अंश होता है और उनको भी जीने का उतना ही अधिकार है जितना कि हम इंसानों को।*

*सालासर धाम - 08 - जून - 2020*

भगवान ने मानव को सभी जीवों में सबसे अधिक बुद्धिमान बनाया है और साथ ही विवेक भी दिया,पर मनुष्य ने केवल बुद्धि का विकास किया और संस्कारों को अपने अंदर ही खत्म कर दिया!
आज मन में आक्रोश और दर्द, आंखों में पानी लिए मस्तिष्क में संस्कारों से विहीन उन व्यक्तियों के लिए दुत्कार और घृणा प्रकट हुई - आखिर क्या कर रहा है इंसान...! वो तो पशु से भी बदत्तर हो गया.... प्रकृति के साथ तो खेल ही रहा है, निर्दोष संतों की हत्या के साथ साथ जीवों की निर्ममता से हत्या भी कर रहा है। जिन्होंने बिना किसी वजह के बेजुबान,भूखी,गर्भवती हथिनी और अजन्मे बच्चे की जान ले ली।
ऐसी हैवानियत उस देश में, जहाँ की संस्कृति में पशुओं को पूजा जाता हो... जहाँ मानव तो क्या गायों, हाथियों आदि पशुओं की रक्षा के लिए स्वयं भगवान पृथ्वी पर आते हैं.।
हम सब को गज और ग्राह की कथा से पता तो चलता ही है कि किस प्रकार भगवान विष्णु ने गज की प्रार्थना से पृथ्वी पर प्रकट होकर ग्राह का सुदर्शन चक्र से वध किया।
उस देश में ऐसा हुआ! कहाँ गई संस्कृति.... कहाँ गई मानवता....? मां का दर्द और पेट में पल रहे बच्चे की चित्कार दोनों के दर्द ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया की हम किस हद तक गिर गए है ? हम जानवर की श्रेणी में हैं या निर्दोष हथिनी और उसका बच्चा? उस बेजुबा मासूम हथनी का गुनाह इतना ही था कि उसने एक निकृष्ट पापी  पर भरोसा कर लिया जिसकी बदनियती का उसको अंदाजा नहीं था। मित्रों हर जीव में परमात्मा का अंश होता है और उनको भी जीने का उतना ही अधिकार है जितना कि हम इंसानों को। आज इस कोरोना काल में इस तरह का कृत्य होना यह साबित करता है कि निश्चित रूप से हमने ऐसे कई कार्य किए है जिससे प्रभु का क्रोधित होना स्वाभाविक है.... इसलिए भूकंप,सुनामी,महामारी,तूफान आदि के रुप में भगवान हमको चेतावनी दे रहे हैं, पर लगता है हम इंसानों ने तो जैसे इंसानियत की हत्या ही कर दी है।
कैसे ईश्वर से प्रार्थना करें कि हे ईश्वर! हमें इस महामारी से बचाइए..! शर्म आती है अब तो ईश्वर से किसी भी तरह की प्रार्थना करने में,क्या उत्तर दें यदि प्रभु ने पूछ लिया कि कहाँ गई मानवता?
अंत मे मैं तो यही प्रार्थना करता हूँ कि वो दरिन्दे जहाँ भी छुपे हो, भगवान उनको भी उसी दर्द के साथ तड़फा के वैसी ही मौत दे जो उस माँ और बच्चें को उन दरिन्दों ने दी। बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ अभियान केरल घटना को लेकर रोष व्यक्त करता है,एवं सभी आला - अधिकारियों से दोषी को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग करता है।

*विष्णु पुजारी*
*सालासर बालाजी धाम*

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