अजीब हाल
बहुत अजीब हाल हैं. दुनिया और दुनिया वालों काहर इंसान अपने लिए बेहतर होता हैं.
और हमेशा नेकी की राह मै आगे बढ़ना चाहता हैं.
कुछ लोग बहुत दूर दरगाहो पर जाते हैं.
दुआएँ मांगते हैं. बहुत सारी नेकीया करते हैं.
एक बार हम लोग हाजीयो को लेने के लिए दिल्ली गए थे. वहा पर और भी लोग बहुत बहुत दूर से ए थे.
हम लोग एयरपोर्ट पर ही थे.
खाला की एक बेटी थीं. 2या 3 साल की उसे पियास लगी. मैंने हर जगह देख लिया मुझे पानी कही नहीं मिला. बच्ची पियास से बेहाल हो रही थीं.
मै फिर उठती फिर जाकर पानी तलाश करती.
लेकिन मुझे पानी कही नहीं मिला.
मेरे हाथ मै थरमस का ढक्कन था.
मै पानी की तलाश मै इधर उधर घूम रही थीं.
मैंने देखा एक औरत पुरे परिवार के साथ खाना कहा रही थीं. पानी देखकर मेरी आँखों मै चमक आ गयी.
मैंने आगे बढ़कर उस छोटे से ढक्कन मै उस मासूम बच्चे के लिए पानी माँगा.
उसने इंकार कर दिया. पानी नहीं हैं.
जबकि आधा वाटर कूलर पानी से भरा मेरे सामने रखा था. मैंने एक बार फिर से ढक्कन आगे बढ़ाते हुए कहा मुझे थोड़ा सा पानी चाहिए.
बच्चे को प्यास लगी. उसने फिर से इंकार कर दिया.
साफ साफ लफ्ज़ो मै कहा नहीं हैं. पानी मैंने अपने कदमो को मोड़ लिया. मेरी आँखों मै आंसू आगये थे.
ये वो लोग थे. जो 2 ढाई दिन का सफर करके नेकी कमाने आये थे. लेकिन एक मासूम बच्चे की प्यास ना बुझा सके. क्योकि उनकी इस नेकी को ज़माने ने नहीं देखा था. और जो वो इतना सफर करके आये थे. उस नेकी को ज़माना जानता था.
ये हैं. हमारे समाज के लोग नेकी भी दिखाने के लिए करते हैं. क्या उन लोगो को वो नेकी मिली होंगी जिस के लिए वो इतना लम्बा सफर करके आये थे.
नाम - फ़िज़ा फातिमा
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